पंजाब में बुधवार को प्रदर्शनकारी मजदूरों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। मजदूर अपनी मांगों को लेकर भारतीय खेत मजदूर यूनियन की अगुआई में CM भगवंत मान के संगरूर स्थित आवास के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे थे। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें कई मजदूर घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पेंडू मजदूर यूनियन के अध्यक्ष तरसेम पीटर और जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष मुकेश मलौद ने कहा कि ग्रामीण और खेत मजदूर संगठनों के आह्वान पर सांझा मोर्चा की अगुआई में बुधवार को पूरे पंजाब से मजदूरों के साथ-साथ बड़ी तादाद में महिलाएं और नौजवान संगरूर पहुंचे।
लोग सिर्फ मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने अपनी बात रखना चाहते थे। जब वह शांतिपूर्वक तरीके से नारेबाजी करते हुए काफिले की शक्ल में सीएम आवास की ओर बढ़ रहे थे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें कई लोगों की पगड़ियां बिखर गईं।
एक किलोमीटर पहले रोका
मजदूर संगठनों के सदस्य सुबह ही संगरूर में इकट्ठा हुए। यहां से उन्होंने काफिले की शक्ल में सीएम के आवास की ओर कूच किया। संगठनों ने इस प्रदर्शन की जानकारी प्रशासन को पहले से दे रखी थी। लिहाजा सीएम आवास की तरफ जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात था।
पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री मान के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ रहे मजदूरों को पुलिस ने सीएम आवास से एक किलोमीटर पहले बैरिकेडिंग करके रोक दिया। मजदूरों ने जब बैरिकेडिंग लांघकर आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस से धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठीचार्ज कर दिया। इसमें कई किसान और मजदूर घायल हो गए।
मजदूरों के सांझा मोर्चा में ये शामिल
मजदूरों के सांझा मोर्चा में जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के प्रधान मुकेश मलौद, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब के महासचिव लखवीर सिंह, पंजाब खेत मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव लक्ष्मण सिंह, मजदूर मुक्ति मोर्चा के राज्य नेता मक्खन सिंह, कुल हिंद किसान यूनियन के नेता भूपचंद, देहाती मजदूर सभा के नेता प्रकाश नंदगढ़, पेंडू मजदूर यूनियन के राज्य प्रधान तरसेम पीटर शामिल हैं।
चीमा ने मानी गई मांगों को लटकाया
जोरा सिंह, परमजीत सिंह व परगट सिंह ने कहा कि 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान की मजदूर मोर्चा से बैठक तय थी, मगर अचानक वह बैठक रद्द कर दी गई। उसके बाद वित्त मंत्री हरपाल चीमा के साथ बैठक हुई, मगर उसमें चीमा ने स्वीकार की जा चुकी मांगों पर किंतु-परंतु शुरू कर दिया जिससे मजदूरों में रोष है।
सत्ता में आते ही बदल गए सुर
मजदूर नेताओं ने कहा कि इसी साल हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव से पहले मजदूरों की मांगों पर आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं का रवैया कुछ और था, लेकिन मार्च-2022 में पंजाब में AAP की सरकार बनते ही इन नेताओं के सुर बदल गए। पंजाब सरकार ने अभी तक उनकी मांगों पर बैठक करने का अपना वादा तक पूरा नहीं किया। ऐसे में मजदूर सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं।
मजदूर संगठनों का कहना है कि उन्हें मनरेगा और खेतों में काम करने पर रोज दिहाड़ी नहीं मिलती।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी
उधर इस लाठीचार्ज के बाद मजदूर संगठनों के सदस्य उस कॉलोनी के गेट के आगे धरने पर बैठ गए जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान का घर है। उन्होंने कॉलोनी के अंदर जाने का रास्ता बंद कर दिया। मजदूर संगठनों के सदस्यों ने कहा कि पंजाब पुलिस की धक्केशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वादों से मुकरी सरकार
प्रदर्शनकारियों के अनुसार अपनी मांगों को लेकर वह पंजाब की AAP सरकार से कई दौर की मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन सरकार जानबूझकर उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। पंजाब सरकार पंचायतों को मनरेगा का फंड भी नहीं दे रही। ऐसे में उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है।
पंजाब में आज भी मजदूरों की दिहाड़ी ढाई सौ रुपए है। सरकार दिहाड़ी बढ़ाने, प्लॉट देने और कर्ज माफ करने का वादा करके अब मुकर रही है।
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