पंजाब में हेल्थ मिनिस्टर डॉ. विजय सिंगला की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। हेल्थ मिनिस्टर अपने सगे भांजे के जरिए ही सेहत विभाग में करप्शन का खेल खेल रहे थे। सिंगला ने मंत्री बनते ही सगे भांजे प्रदीप कुमार और गिरीश कुमार को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) बना दिया।
हालांकि, सबसे अहम रोल प्रदीप कुमार का था। सिंगला के मंत्री का सारा कामकाज प्रदीप कुमार ही देखता था। पुलिस ने प्रदीप कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। इससे अब पुलिस की स्पेशल टीमें पूछताछ में जुट गई है। मंत्री विजय सिंगला और भांजे प्रदीप कुमार को पुलिस ने 27 मई तक रिमांड पर लिया है।
वहीं मंत्री विजय सिंगला ने आरोपों को नकारा है। मंत्री का कहना है कि पार्टी को बदनाम करने के लिए उन्हें साजिश कर फंसाया गया है।
कौन है प्रदीप कुमार
प्रदीप कुमार बठिंडा की ग्रेन मार्केट में प्लाई का बिजनेस करता है। इसके अलावा वह ITI भी चलाता है। सिंगला ने मंत्री बनने के बाद अपनी दोनों बहनों के एक-एक बेटे को OSD बना दिया था। प्रदीप कुमार का रोल काफी अहम रहा। वह चुनाव प्रचार के दौरान ही राजनीति में सक्रिय हुआ। सिंगला की जीत के लिए प्रदीप ने मानसा विधानसभा का भीखी एरिया संभाला। जब सिंगला मंत्री बने तो प्रदीप चंडीगढ़ शिफ्ट हो गया था। जिसके बाद वह मंत्री का पूरा कामकाज देखने लगे।
मंत्री और प्रदीप की कॉल डिटेल्स खंगाल रही पुलिस
पुलिस ने अब मंत्री और प्रदीप कुमार के भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए कॉल डिटेल्स खंगालनी शुरू कर दी है। दोनों का कॉल रिकॉर्ड निकलवाया जा रहा है। दोनों की पिछले सवा 2 महीनों में सबसे ज्यादा किस नंबर पर बात हुई, पुलिस इसकी पड़ताल में जुट गई है।
CM ने मोहल्ला क्लिनिक की निगरानी की तो खुलने लगी परतें
पुलिस का दावा था कि मंत्री विजय सिंगला का OSD भ्रष्टाचार कर रहा था। इसके बारे में CM भगवंत मान तक बात पहुंच गई। उन्होंने सिंगला को समझाया भी कि उनका भांजा 'डील' कर रहा है। हालांकि, सिंगला ने यह बात नहीं मानी। इसके बाद जब आम आदमी पार्टी के महत्वकांक्षी मोहल्ला क्लिनिक प्रोजेक्ट की CM मान ने निगरानी शुरू की तो भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगीं। 15 अगस्त से शुरू किए जा रहे 75 मोहल्ला क्लिनिक को लेकर मान सीधे मॉनिटरिंग कर रहे थे। जिसके बाद ही अफसर सीधे CM मान के टच में आ गए। जिसके बाद यह सारी पोल खुल गई।
ईमानदार अफसरों को किनारे किया
सिंगला के मंत्री बनते ही उनके करीबी सेहत विभाग में सक्रिय हो गए। विभाग में ईमानदार अफसरों को किनारे कर दिया गया। इसकी जगह मंत्री ने भ्रष्ट अफसरों को शह देनी शुरू कर दी। हालात, यह हो गए कि सेहत विभाग में 2 IAS अफसर और मंत्री के करीबी आमने-सामने हो गए।
एक और रिश्तेदार ने भी उठाया फायदा
जांच में यह भी पता चला कि मंत्री का एक और करीबी रिश्तेदार नशामुक्ति केंद्र चलाता है। इसमें करीब 198 करोड़ के केंद्र के पैकेज को लेकर भी मंत्री विवादों में घिर सकते हैं। इस मामले में भी मंत्री ने कार्रवाई करने की जगह टालमटोल किया था।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.