उत्तर भारत के तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में अप्रैल के मध्य में ही गर्मी का प्रचंड रूप दिखने लगा है। बुधवार को पंजाब के बठिंडा में अधिकतम तापमान 43 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। वहीं, हरियाणा के सिरसा में 42.3 डिग्री, चंडीगढ़ में 41 और हिमाचल की राजधानी शिमला में तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहा। लोगों को लू के थपेड़े झेलने पड़ रहे हैं। लोग अभी से ही दिन के समय घरों में कैद हो गए हैं।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि आने वाले दो दिन में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ के साथ राष्ट्रीय राजधानी में बारिश का पूर्वानुमान है। वहीं हिमाचल में आने वाले चार दिन मौसम खराब रहेगा।
मार्च सूखा बीता और अप्रैल में भी नहीं हुई बारिश
इस बार उत्तर भारत के राज्यों में मार्च महीना सूखा बीता। वहीं अप्रैल में भी अभी तक बारिश नहीं हुई है। सूखे स्पेल के कारण पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल के ऊना जिले में मार्च में ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। हरियाणा में आने वाले एक सप्ताह में अधिकतम तापमान 45 और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है। वहीं चंडीगढ़ और पंजाब में 23 अप्रैल के बाद तापमान में बढ़ोतरी होगी। हिमाचल में 1 मार्च से 19 अप्रैल तक 94% कम बारिश हुई है।
आने वाले दिनों में गर्मी से राहत के संकेत
आने वाले दिनों में भी पंजाब और हरियाणा में ऐसे ही हालात रहेंगे। वर्तमान में इन राज्यों के अधिकतर जिलों में तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से प्रदेश के मौसम में परिवर्तन संभव है। लोगों को तेज गर्मी झेलनी पड़ रही है। आने वाले दिनों में लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी।
असामान्य गर्मी का फसल पर भी सीधा असर
मार्च महीने में ही ज्यादा गर्मी होने के कारण गेहूं की फसल के उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ा है। प्रति एकड़ में 5 क्विंटल तक गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई है। गर्मी के असर के कारण गेहूं का दाना खरीद स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं है। इस कारण पंजाब में गेहूं खरीद भी रोक दी गई थी। बाद में प्रदेश सरकार के अनुरोध पर खरीद एजेंसियों ने निरीक्षण कर गर्मी का असर मानते हुए खरीद दोबारा शुरू की। वहीं पंजाब और हरियाणा में सब्जी उत्पादकों के लिए भी गर्मी ने दिक्कत खड़ी कर दी है। गर्मी के कारण सब्जियों की फसल झुलस गई और उत्पादन पर भी 40 फीसदी तक असर हुआ है। उत्पादन प्रभावित होने का सीधा असर सब्जियों के दाम में भी दिख रहा है।
हिमाचल में सूखे गर्मी से सेब और स्टोन फ्रूट्स पर संकट
हिमाचल प्रदेश में अप्रैल में ही असामान्य गर्मी और लंबे ड्राई स्पेल ने सेब और स्टोन फ्रूट्स पर संकट खड़ा कर दिया है। शिमला, सोलन, सिरमौर, कुल्लू और मंडी जिलों के 2000-3000 फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चेरी, बादाम, खुमानी, प्लम, आड़ू की फसल 30 से 40 फीसदी तक प्रभावित हो गई है। वहीं, सूखे के लंबे स्पेल के कारण बगीचों में सूख रही नाम से सेब की फसल पर भी ड्रॉपिंग का खतरा मंडरा रहा है। असामान्य गर्मी के कारण जून में होने वाली ड्रॉपिंग अप्रैल में ही देखने को मिल रही है। शिमला, चंबा, कुल्लू, मंडी, सोलन के कम ऊंचे क्षेत्रों के सेब के बगीचों पर ज्यादा असर है।
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