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बागवानी ब्रांच के एक्सईएन दिलीप ने बदली पार्क की तस्वीर:कबाड़ से पार्क को ओपन एयर कैफे में बदला, पुराने ड्रमों से कुर्सियां, लक्कड़ से तैयार किया शिकारा

पटियाला2 महीने पहलेलेखक: राणा रणधीर
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मॉडल टाउन पार्क में बनाए ओपन एयर कैफे में पुराने ड्रमों से बनाई कुर्सियां। (बीच में) पुराने लक्कड़ से बनाया गया शिकारा। (दाएं) पुराने टायरों को पेंट कर लगाए गए प्लांट्स। - Dainik Bhaskar
मॉडल टाउन पार्क में बनाए ओपन एयर कैफे में पुराने ड्रमों से बनाई कुर्सियां। (बीच में) पुराने लक्कड़ से बनाया गया शिकारा। (दाएं) पुराने टायरों को पेंट कर लगाए गए प्लांट्स।

शहर के मॉडल टाउन इलाके में स्थित नगर निगम के सरकारी पार्क में पटियाला का पहला ओपन एयर कैफे तैयार किया गया है। कैफे में आपको बैठने के लिए शानदार कुर्सियां-टेबल और अन्य डेकोरेशन का सामान भी देखने को मिलेगा। आप हैरान रह जाएंगे कि यह कैफे और पूरा पार्क कबाड़ के सामान से तैयार हुआ है। नगर निगम की बागवानी ब्रांच के एक्सईएन दिलीप कुमार ने यह कारनामा करके दिखाया है। उन्होंने लोगों के घराें से एकत्रित हाेने वाले कबाड़ और बेकार पड़ी चीजों से कलाकारी कर 6 महीने की मेहनत के बाद यह पार्क तैयार किया है। इस कैफे में लक्कड़ के टुकड़ों से एक शिकारा भी बनाया गया है। इसके अलावा पुराने ड्रमों को पेंट कर कुर्सियां, निगम की गाड़ियों के पुराने टायरों को प्लांट्स लगाने और हैंगिंग पोट्स के तौर पर यूज किया है।

डंप व निगम के स्टोर में कबाड़ कम होने पर लोगों से मांग लाए दिलीप
शहर से रोजाना 400 टन कूड़ा निकलता है, जो शीश महल रोड पर निगम के सरकारी डंप पर पहुंचता है। इस डंप से कबाड़ निकालकर पार्क में यूज किया है। इसके अलावा निगम के स्टोर में पड़े कबाड़ को भी लिया। इसे एक्सईएन दिलीप का जज्बा ही कहा जाएगा कि जब इस कबाड़ का स्टॉक खत्म हो गया तो वह मॉडल टाउन में रहते लोगों के घरों में पड़े कबाड़ को मांग लाए व पार्क में सजावट की। कैफे में प्लास्टिक की बोतलों के गमलों में फूल लगाए हैं। हवा से गिरे पेड़ों के टुकड़ों के बीच पौधे व घड़ों से फव्वारे बनाए हैं। पुरानी टीन को रंग कर छत का रूप दिया है। साइकिल के चक्कों को रंग कर डेकोरेट किया है। स्क्रैप स्टील शीट्स की बाउंड्री वॉल बना डाली।

कैफे से रोजगार देने की योजना
एक्सईएन दिलीप कुमार बताते हैं कि इस कैफे में कुल 10 व्यक्तियों को रोजगार मिल सकता है। जिला प्रशासन द्वारा इस कैफे को सेल्फ हेल्प ग्रुप को देने की योजना चल रही है। किसी भी जरूरतमंद ग्रुप को तय नियमों के मुताबिक कैफे का ठेका दिया जा सकता है।

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