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14 फरवरी को होने वाले कौंसिल चुनावों को लेकर उम्मीदवारों ने सरगर्मियां तेज कर दी हैं। वोटरोंं की सूचियां तैयार कर संपर्क साधना शुरू कर दिया है। विरोधी उम्मीदवार के खेमे के वोट बैंक में सेंध लगाने व उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उनके दोस्तों व रिश्तेदारों का भी सहारा लिया जा रहा है।
सरहिंद नगर कौंसिल की नई वार्डबंदी के चलते यहां 23 वार्ड हैं। वार्ड 7 व 12 से कांग्रेसी प्रत्याशियों के निर्विरोध चुने जाने पर 21 वार्डों में कांग्रेस, शिअद, आप व भाजपा के 89 उम्मीदवार मैदान में हैं। 14 आजाद उम्मीदवार हैं। 2015 में हुए नगर कौंसिल चुनाव में 21 वार्ड थे, जिनमें शिअद ने 9, भाजपा ने 5, कांग्रेस ने 4 तथा 3 आजाद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। कौंसिल पर पांच वर्ष तक शिअद का कब्जा रहा। हालांकि कुछ समय के लिए तत्कालीन अध्यक्ष शेर सिंह को स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सस्पेंड किए जाने के चलते उन्हें कुछ समय अपने पद से दूर रहना पड़ा। उस दौरान कांग्रेस के पवन कालड़ा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। पर बाद में अदालत से मिली स्टे के बाद शेर सिंह फिर अध्यक्ष बने थे, जो कौंसिल की टर्म पूरी होनेे तक कायम रहे थे।
पिछली कौंसिल में शिअद अध्यक्ष लगभग 5 वर्ष तक काबिज रहे थे। उन्होंने शहर के विकास में इंटरेस्ट भी लिया। पर कांग्रेस के सत्ता में होने और कौंसिल से किए पक्षपात के रवैये के चलते करोड़ों के विकास कार्यों के टेंडर रद्द भी हुए। पर बावजूद इसके कौंसिल की अपनी आय और सरकार की मिली ग्रांटों के चलते कई वार्डों में विकास कार्य खुलकर हुए तो कुछ वार्ड विकास के लिए तरसते रहे। इसके कारणों में पार्षदों के साथ पक्षपात के साथ शहर में सीवरेज के प्रोजेक्ट के तय समय में पूरा न होना था। इससे न तो कई वार्डों में गलियां बन पाईं और न ही सीवरेज प्रोजेक्ट चल पाया है।
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