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लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से पटियाला में स्थापित मल्टी डिस्ट्रिक्ट वाटर टेस्टिंग लेबोरेटरी अब हाइटेक हो गई है। यहां अति आधुनिक मशीनों से महीने में पानी के 300 सैंपलों की जांच की जा सकती है। दो साल में 7000 से अधिक सैंपलों की जांच की जा चुकी है।
यहां नाभा रोड पर स्थित जल सप्लाई तथा सैनिटेशन विभाग के मुख्य कार्यालय में स्थित इस लेबोरेटरी में गांवों व शहरों में बन रही पानी की टंकियों, बोरों, सरकारी व निजी स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी, अस्पतालों तथा अन्य सार्वजनिक जगहों पर पीने के लिए इस्तेमाल किए जाते पानी की जांच की जाती है, ताकि पानी के साथ होने वाली गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।
लैब के क्वालिटी मैनेजर बिनाकशी शर्मा ने बताया कि यहां पानी में मिली भारी धातों अरसैनिक, एल्युमीनियम, सिक्का, बैक्टीरिया का पता लगाया जाता है। डिप्टी क्वालिटी मैनेजर बृजभूषण ने बताया कि पानी का धुंधलापन परखने से अलावा पानी की टर्बीडिटी, पीएच स्तर, टीडीएस, टोटल अलकानिटी, टोटल हार्डनेस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कलोराइड्स, निटरेट, सल्फेट, आयर्न, रैसीडियूल, क्लोराइन, आर्सैनिक आदि टेस्ट किए जाते हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किए जाते दूषित पानी के भी टेस्ट किए जाते हैं। पानी की परख के बाद यदि पानी की गुणवत्ता पीने के लायक न हो तो पानी का सोमा बदला जाता है, इसलिए यह लैब पानी की परख के लिए एक वरदान साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि 1964 में यहां स्थापित यह राज्य की तीसरी ऐसी लैबोरेटरी है।
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