दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिशनपुरा आश्रम सुनाम में भंडारे का आयोजन किया गया। श्री गुरु आशुतोष महाराज की परम शिष्या साध्वी सुश्री ईश्वरप्रीता भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि धर्मों धारयति प्रजा धर्म से ही प्रजा की रक्षा होती है, लेकिन आज हम अकसर यह सुनते हैं कि धर्म खतरे में है, तो आश्चर्य होता है आज मानव के दृष्टिकोण में धर्म केवल एक शब्द मात्र ही रह गया है। मनुष्य धर्म के वास्तविक रहस्य को विस्मृत कर चुका है और यहां तक धर्म के प्रति मानव की मान्यताएं हैं।
उन मान्यताओं का आधार भी कहीं नजर नहीं आता सांप्रदायिक रीति रिवाजों, तत्कालीन प्रचलनों, कथा आदि किवदंतियों को ही धर्म का परिवर्तनशील रूप मानकर अक्सर मनुष्य उन्हीं को धर्म मान बैठता है। शास्त्रों के प्रमाण से यह स्पष्ट होता है कि धर्म में कभी परिवर्तन नहीं आता। परिवर्तन व्यवहार में आता है। उन्होंने कहा कि जगत एवं मनुष्य में सुख-शांति, प्रगति व उन्नति का एक मात्र आधार धर्म ही है।
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