राजस्थान के ब्यावर का एक जांबाज पिछले 8 साल से अपने सिर में गोली लेकर घूम रहा है और दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। शहर से एक अपह्रत व्यापारी को मुक्त करवाने के प्रयास में अपहरणकर्ताओं की गोली का शिकार हुए जांबाज फरीद को सरकार और पुलिस महकमे ने भुला दिया है।
स्थिति यह है कि फरीद आज इलाज करवाने में भी असमर्थ है। हालांकि 8 साल बाद भी फरीद को अब भी उम्मीद है कि पुलिस विभाग या सरकार उसकी सुध लेगा। मामला 9 सितंबर 2012 का है, जब शहर के प्राॉपर्टी डीलर मल्ली कुमार सांखला का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया था। इस पर तत्कालीन जिला एसपी राजेश मीणा के निर्देश पर टीमें रवाना हुईं।
अपहरणकर्ताओं को शक न हो, इसके लिए पुलिस ने ब्यावर थाने के सामने टैक्सी चलाने वाले विजयनगर रोड निवासी फरीद काठात और एक अन्य चालक गोविंद प्रजापत को साथ लेकर ऑपरेशन शुरू किया। फिरौती की रकम लेने आए दो अपहरणकर्ताओं पर पुलिस ने धावा बोल दिया। इसी बीच एक गोली फरीद के सिर में आकर धंस गई। वो अचेत हो गया और उसकी टैक्सी असंतुलित होकर पलट गई। इधर, अपह्रत सांखला को मुक्त करवा लिया गया, लेकिन फरीद गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया। करीब दो माह तक जयपुर में इलाज चला, जिसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। तब से फरीद किसी स्थाई काम के लिए विभाग और जनप्रतिनिधियों के चक्कर ही काट रहा है।
गोली निकाली तो कोमा में जाने और मौत भी संभव
गोली फरीद के सिर के पिछले हिस्से में ऐसी जगह जाकर धंस गई है, जहां से उसे निकालना मुश्किल था। डॉक्टरों के मुताबिक, जिस हिस्से में गोली फंसी है वहां से पूरे शरीर का नर्वस सिस्टम काम करता है। गोली निकालने की कोशिश की गई, तो फरीद के अंधे होने, कोमा, लकवा या मौत होने तक का खतरा हो सकता है। अभी भी फरीद को हर दो से तीन महीने में जयपुर में सिर की कई प्रकार की जांचें करवानी पड़ती है। फरीद को सिर में तेज दर्द होता है, जिससे वो बेसुध हो जाता है।
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