अजमेर नगर निगम का बाबू निकला ठग:रेशम कारोबारी से 2 करोड़ की ठगी; वाराणसी में साथियों के साथ गिरफ्तार

अजमेरएक वर्ष पहले
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गिरफ्तार आरोपी। - Dainik Bhaskar
गिरफ्तार आरोपी।
  • 9 माह से चल रहा था गैर हाजिर, अब संस्पेंड की तैयारी

यूपी के वाराणसी में रेशम कारोबारी फर्म के मैनेजर से दाे करोड़ रुपए की ठगी के मामले में अजमेर नगर निगम के बाबू सचिन शर्मा काे गिरफ्तार किया गया है। आरोपी शर्मा ने अपने चार साथियों के साथ दाे दिन पहले वाराणसी में वारदात काे अंजाम दिया था। वह फिलहाल नगर निगम की गंज गोदाम निर्माण शाखा में तैनात था, लेकिन पिछले 9 महीने से वह ड्यूटी से गैर हाजिर चल रहा था। यूपी पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद अब निगम प्रशासन उसे निलंबित करने की तैयारी कर रहा है। उधर यूपी पुलिस की क्राइम ब्रांच आरोपी सचिन शर्मा सहित अन्य आरोपियों के नेटवर्क काे खंगालने में जुटी है।

आरोपी सचिन शर्मा और उसके तीन अन्य साथियों ने वाराणसी में गत बुधवार काे बेंगलुरू की रेशम फर्म के मलदहिया स्थित कार्यालय के मैनेजर काे झांसा देकर दो करोड़ रुपए हड़प लिए थे। मैनेजर को झांसा देकर टैक्स में छूट दिलाने की बात कहकर ठगों ने पिशाच मोचन (वाराणसी) स्थित कार्यालय में दो करोड़ रुपए मंगाए थे। मैनेजर और उसका साला रुपए लेकर पहुंचे। आरोपी कैश लेकर भाग निकले। मैनेजर अकथा चौराहा निवासी अंकित शुक्ला की शिकायत पर वाराणसी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच की।

अंकित ने बताया था कि उसके साथ उसका साला अश्वनी पांडेय भी फर्म के लिए काम करता है। साले अश्वनी की मुलाकात अभिषेक और यश मित्तल नामक दो युवकों से हुई थी। दोनों ने बताया था कि उनकी भी फर्म है, जो अकाउंट संबंधी काम करती है। दोनों ने टैक्स में बड़ी राहत दिलाने का झांसा दिया। उसके बदले में बचत के रुपए में से एक प्रतिशत कमीशन दिलाने का लालच दिया था।

अजमेर नगर निगम का बाबू सचिन शर्मा।
अजमेर नगर निगम का बाबू सचिन शर्मा।

वाराणसी क्राइम ब्रांच ने सचिन सहित 4 काे किया गिरफ्तार

वाराणसी क्राइम ब्रांच पुलिस ने मामले में सचिन शर्मा सहित चार लाेगाें काे शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। जालसाजों का मास्टर माइंड मुंबई के होटल से गिरफ्तार पंकज भारद्वाज हरियाणा के हिसार जिले के खंजाचीयान बाजार का रहने वाला है। उसके साथ पकड़ा गया रोहन खींची नई दिल्ली के प्रशांतनगर के करोलबाग और तरुण गौतम नई दिल्ली के मलिकागंज थाना सब्जी मंडी का है।

वहीं, चौथा जालसाज सचिन शर्मा अजमेर में नगीनाबाग, सावित्री चौराहा का रहने वाला है। जिसे गाजियाबाद के कौशांबी बस स्टैंड के पास से पकड़ा गया था। सचिन का वर्तमान पता नई दिल्ली के द्वारिका में सुकृति आपर्टमेंट का है। पुलिस जांच में सामने आया है कि मास्टरमाइंड पंकज भारद्वाज और दिल्ली के सचिन शर्मा पहले से जालसाजी करते रहे हैं।

आयकर इंटेलीजेंस की टीम ने भी पूछताछ की

पुलिस के अनुसार अंकित व उसके साले अश्विनी से रुपए हड़पने के बाद तरुण और रोहन ने ही शहर के दो हवाला कारोबारियों से मुलाकात की। उन्हें क्रमश: एक करोड़ व 87 लाख रुपए दिए। दोनों दिल्ली होते हुए मुंबई के नरीमन प्वाइंट पहुंचे। वहां के एक होटल में पंकज भारद्वाज के साथ छिपे हुए थे। अजमेर नगर निगम के कर्मचारी सचिन शर्मा पर शक है कि वह हवाला कारोबार नेटवर्क की कड़ी था।

जांच में सामने आया है कि जालसाज 20 अप्रैल को वारदात के छह घंटे बाद तक बनारस में एक ऑटो से घूम रहे थे। मुंबई और दिल्ली से गिरफ्तार चारों आरोपियों से हवाला नेटवर्क का सुराग लेने के लिए शुक्रवार को आयकर इंटेलीजेंस की टीम ने भी पूछताछ की। आरोपियों काे वाराणासी पुलिस ने काेर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।

बीते आठ माह से निगम से अनुपस्थित चल रहा था सचिन

बीते 9 माह से सचिन नगर निगम से अनुपस्थित चल रहा था। इसे लेकर निगम से दाे बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन काेई जवाब नहीं आने के बाद अब 16 सीसी का नोटिस जारी करने के साथ ही जांच बैठाई गई है। निगम की संस्थापन शाखा से नोटिस गंज गोदाम स्थित निर्माण शाखा भेजा गया। वहां से सचिन काे लेकर पूरी रिपेार्ट मांगी गई है। टीम नगीना बाग स्थित सचिन के घर पर भी जाकर आई, लेकिन काेई जवाब नहीं मिला। अधिकारियों ने बताया कि सचिन के पिता बिजली शाखा में कार्यरत थे। करीब 15 साल पहले माैत हाेने पर सचिन को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी।

बाड़मेर में भी की 30 लाख की ठगी

वाराणसी पुलिस की जांच में गिरोह का एक और मामला सामने आया है। बाड़मेर के पायलकला गांव के कपड़ा कारोबारी कृष्णा राम काे आरोपियों ने रकम दोगुना करने का लालच दिया था। 30 लाख रुपए अमित मित्तल के खाते में जमा कराए थे और हड़प कर गए। बाड़मेर में 27 जनवरी 2022 को पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।

अन्य आरोपियों की तलाश

पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि आरोपियों की धरपकड़ के लिए सर्विलांस प्रभारी अंजनी पांडेय के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच के दरोगा राजकुमार पांडेय, सूरज तिवारी व बृजेश मिश्र, सुरेंद्र कुमार मौर्य, पुनदेव सिंह, विवेकमणि त्रिपाठी, रामबाबू, जितेंद्र सिंह की टीम गठित की गई थी। पुलिस टीम ने सर्विलांस की मदद से अंतरराज्यीय ठग गिरोह के चारों सदस्यों को चिह्नित कर पकड़ा। इसके बाद उनकी निशानदेही पर गाजियाबाद से एक करोड़ 87 लाख रुपए बरामद किया गया। चारों आरोपियों से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर उनके गिरोह के अन्य सदस्य भी जल्द ही गिरफ्तार किए जाएंगे। इस गिरोह की जड़ें देश के कई राज्यों में फैली हुई हैं। ठगों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को एक लाख रुपए के पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा।

अंतरराज्यीय ठग गिरोह का सरगना सचिन शर्मा (बाएं) और उसका सहयोगी पंकज भारद्वाज (दाएं)।
अंतरराज्यीय ठग गिरोह का सरगना सचिन शर्मा (बाएं) और उसका सहयोगी पंकज भारद्वाज (दाएं)।

उत्तर से दक्षिण के राज्यों तक हैं जड़ें

पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने 'दैनिक भास्कर' को बताया कि हमारी तफ्तीश में अब तक यह सामने आया कि गिरफ्त में आए ठगों के अंतरराज्यीय गिरोह की जड़ें उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक तक फैली हुई हैं। गिरोह का सरगना अजमेर का मूल निवासी और दिल्ली के द्वारिका क्षेत्र में रहने वाला सचिन शर्मा है।

उसने अपने गिरोह में 12 से 15 ऐसे लोगों को शामिल कर रखा है जो हिंदी के साथ ही फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और दिखने में स्मार्ट नजर आते हैं। इस गिरोह के सदस्य अपना घर छोड़ कर ओबेराय और जेडब्ल्यू मैरिएट जैसे फाइव स्टार होटल में ही ठहरते हैं। कहीं भी आने-जाने के लिए गिरोह के सदस्य फ्लाइट्स का ही सहारा लेते हैं। बनारस में बीते 20 अप्रैल को दो करोड़ रुपए ठगने के बाद गिरोह के सदस्य उसी रात फ्लाइट से दिल्ली पहुंच गए थे।

गिरफ्तार तरुण गौतम (बाएं) और रोहन खिंची (दाएं)।
गिरफ्तार तरुण गौतम (बाएं) और रोहन खिंची (दाएं)।

नई उम्र के लड़कों के जरिए करते थे ठगी

सरगना सचिन शर्मा ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वह फाइनेंशियल एक्टिविटी संचालित करने के नाम पर नई उम्र के लड़कों की भर्ती करता है। उन्हीं लड़कों के माध्यम से अलग-अलग शहरों में पता लगवाता है कि बाहर की किन बड़ी फर्मों का ऑफिस वहां है? या फिर, बड़े व्यापारी कौन हैं या कौन सी ऐसी फर्म है जो उस शहर में अपना पांव जमाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके बाद चिह्नित फर्म के सर्वेसर्वा से इनकम टैक्स और जीएसटी में बड़ी छूट दिलाने, बड़े अमाउंट का लोन पास कराने और कारोबार को आगे बढ़ाने में फाइनेंशियल हेल्प के नाम जैसे मसलों पर बातचीत शुरू की जाती है।

बातचीत के लिए गिरोह हमेशा ऐसी जगह को चुनता है जिससे सामने वाले को उसकी असलियत के बारे में थोड़ी सी भी शंका न हो सके। इसके लिए अच्छे रेस्टोरेंट और होटलों का ही सहारा लिया जाता है। बातचीत आगे बढ़ने लगती है तो उस शहर में ऑफिस का एक सेटअप तैयार किया जाता है और फिर टारगेट को वहीं बुलाया जाता है।