बाहर की फर्जी डिग्रियों पर लगे अंकुश:देवनानी ने विधानसभा में उठाया मुद्दा, कहा- प्रदेश के युवाओं को मिले भर्ती में आरक्षण

अजमेर4 महीने पहले
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पूर्व शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना। - Dainik Bhaskar
पूर्व शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना।

पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को विधानसभा में प्रदेश की भर्तियों में स्थानीय प्रदेशवासियों को अलग से आरक्षण देने का मामला उठाया। देवनानी का कहना है कि भर्तियों में स्थानीय प्रदेशवासियों को आरक्षण दिए जाने की सख्त आवश्यकता है। फर्जी डिग्रियों के आधार पर दूसरे राज्यों के लोग राजस्थान में नौकरी पा रहे हैं। इनपर लगाम लगाने और प्रदेशवासियों के भविश्य को देखते हुए राज्य सरकार उत्तराखण्ड और तेलंगाना की तर्ज पर स्थानीय शैक्षणिक संस्थाओं में पासआउट को आधार बनाकर प्रदेशवासियों को भर्तियों में आरक्षण देने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।

विधानसभा के प्रश्नकाल में लगाए गए प्रश्न की जानकारी देते हुए देवनानी ने कहा कि राजस्थान वर्तमान में देश में बेरोजगारी के मामले में नम्बर 2 पर है। प्रदेश में करीब 27 लाख लोग बेरोजगार है। वर्तमान परिस्थितियों में रोजगार प्राप्त करने को लेकर लाखों की भीड रहती है। इधर प्रदेश के युवाओं के भविष्य को लेकर कांग्रेस सरकार कभी भी गंभीर नहीं रही है। प्रदेश की भर्तियों में राजस्थानवासियों को आरक्षण देने का प्रावधान निश्चित ही स्थानीय युवाओं के लिए रामबाण साबित होगा लेकिन पिछले एक साल से विपक्ष भर्तियों में स्थानीयों को आरक्षण देने का समर्थन करता आया है। लेकिन सरकार इस मुद्धे के प्रति आज तक भी गंभीर नहीं है। सरकार में शिक्षा मंत्री बी.डी.कल्ला द्वारा विधानसभा में दिया गया जवाब तो यह ही स्पष्ट कर रहा है। सरकार भर्तियों में स्थानीयों को आरक्षण देने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही है। उन्होंने साफ स्पष्ट कर दिया कि आज तक सरकार ने इस संबंध में किसी प्रावधान पर विचार तक नहीं किया है।

सरकार को उठाना चाहिए ठोस कदम

देवनानी ने बताया कि देश के कई राज्य अपने स्थानीय लोगों को भर्तियों में आरक्षण देने को लेकर प्रावधान बना चुके हैं। उत्तराखण्ड और तेलंगाना की ही बात करें तो इन्होंने भर्तियों के लिए अभ्यार्थियों के लिए शैक्षणिक योग्यता उसी राज्य के शैक्षणिक संस्थान से प्राप्त किए जाने को ही पात्र माना है, इसी प्रकार पंजाब, गुजरात, तमिलनाडू एवं कर्नाटक में वहां की स्थानीय भाषा का विषय उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता की है। जब उक्त राज्य अपने स्थानीय वासियों के भविष्य के बारे में गंभीरता दिखाते हुए यह प्रावधान लागू कर सकती है तो कांग्रेस सरकार को भर्तियों में राजस्थानवासियों को आरक्षण देने का निर्णय क्यों नहीं करना चाहिए? सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाना ही चाहिए ताकि स्थानीय लोगों को इसका ज्यादा लाभ मिल सके साथ ही फर्जी डिग्रियों के माध्यम से प्रदेश में नौकरी पानी वाले बाहरी लोगों पर भी पूरी तरह से प्रतिबंद लग सके।

देवनानी ने बताया कि प्रश्नकाल के दौरान भर्तियों में आरक्षण देने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष सी.पी.जोशी ने सरकार से इस दिशा में सकारात्मक रहने का आग्रह किया। उन्होंने शिक्षा मंत्री बी.डी.कल्ला को मार्गदर्शीत किया कि भर्तियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का मामला प्रदेशवासियों के हित में है। राजस्थान में भी तेलंगाना और उत्तराखण्ड की तरह स्थानीय शैक्षणिक संस्थाओं से पास किए हुए लोगों को भर्तियों के लिए योग्य माने जाने के सुझाव पर ध्यान देने का सुझाव दिया।