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घूघरा स्थित कारागार प्रशिक्षण संस्थान में प्रदेश भर के जेलों में तैनात सुरक्षा प्रहरी और अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान रोजाना यह प्रतिज्ञा दिलवाई जा रही है कि वह जेलों में बंद कैदियों के साथ मानवीय आचरण करेंगे।
उन्हें सुधारने की दिशा में प्रेरित करेंगे। प्रशिक्षण लेने वाले प्रत्येक जेल प्रहरी वह अधिकारी को यह भी शपथ दिलाई जाती है कि वे संविधान की रक्षा के साथ-साथ मानवाधिकार सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखेंगे। प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य पारस जांगिड़ ने बताया कि इस नवाचार के दूरगामी सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पुलिस, जेल अथवा वर्दी से जुड़े किसी भी विभाग के प्रशिक्षण संस्थानों में रोल कॉल एक सामान्य उपस्थिति प्रक्रिया हैं, जिसमें प्रशिक्षुओं, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की उपस्थिति ली जाती हैं। अगले दिन का कार्य आवंटन होता है। प्रतिदिन शाम को वरिष्ठ अधिकारी द्वारा रोल कॉल लिया जाता है।
घूघरा स्थित कारागार प्रशिक्षण संस्थान में गत अक्टूबर माह से रोल कॉल के दौरान एक नवाचार किया जा रहा है। गत वर्ष अक्टूबर में ही महानिदेशक जेल राजीव दासोत ने पदभार संभालते ही प्रशिक्षण गतिविधियों को लॉकडाउन उपरांत पुनः प्रारंभ किया था। यहां राजस्थान के विभिन्न कारागृहों से प्रशिक्षण प्राप्त करने आने वाले प्रशिक्षुओं को शपथ दिलाई जाती हैं।
सीएचएम ड्यूटी करने वाले मुख्य प्रहरी मुकेश शर्मा अथवा प्रह्लाद राय गुर्जर द्वारा प्रतिज्ञा पढ़ी जाती है वहीं सभी प्रशिक्षु अपना दाहिना हाथ सामने कर प्रतिज्ञा को दोहराते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में मात्र एक-सवा मिनट लगता है, लेकिन इसका असर दूरगामी होता है। प्रतिदिन शपथ का नवाचार संस्थान के प्राचार्य पारस जांगिड़ द्वारा प्रारंभ किया गया। भारत सरकार की वेबसाइट ‘माय गांव प्लेज’ से शपथ के सभी प्रारूप लिए गए। इस वेबसाइट पर ऑनलाइन शपथ लेने पर एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। ऑनलाइन पंजीयन के लिए सभी प्रशिक्षुओं को प्रेरित भी किया जाता है।
संस्थान में आने वाले प्रत्येक बैच को प्रतिदिन नई-नई शपथ दिलाई जाती हैं। इसमें संविधान की रक्षा, नशा मुक्ति, मानवाधिकार, महिला अधिकार, राष्ट्रीय एकता, युवा ऊर्जा, राष्ट्र निर्माण, आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छ भारत, सड़क सुरक्षा, ईंधन संरक्षण, ड्रग फ्री इंडिया, स्वस्थ भारत, दहेज विरोध आदि शपथ दिलाई जाती हैं।
संविधान की प्रतिज्ञा तथा मूल कर्तव्य भी दोहराए जाते हैं। शपथ को लेकर प्रशिक्षु भी उत्सुक रहते हैं। स्वयं जांगिड़ ने जिला कारागृह प्रतापगढ़ में जेलर पद पर रहते हुए इसकी शुरुआत की थी। तब वे बंदियों को अपराध छोड़ने की शपथ दिलाते थे। इसी प्रेरणा से उन्होंने जेटीआई में भी प्रशिक्षुओं के लिए शपथ का नवाचार प्रारंभ किया।
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