ट्विटर के नए सीईओ बने पराग अग्रवाल का परिवार धानमंडी और खजाना गली किराए के मकान में वर्षों तक रहा। पराग के पिता की जॉब के चलते वे मुंबई शिफ्ट हुए और वहीं पर पराग की शिक्षा हुई। अजमेर में यहां उनके मकान मालिक व पड़ोसियों की माने तो पराग के दादाजी मुनीम का काम करते थे। उनके परिवार ने बहुत संघर्ष कर अपना जीवन जिया। आज उनकी इस कामयाबी से सभी बहुत खुश है।
खजाना गली निवासी विजय लक्ष्मी गोयल ने बताया कि करीब पच्चीस वर्षों तक पराग के दादाजी रामचन्द्र अग्रवाल उनके मकान में एक कमरा किराए पर लेकर रहे। उस समय गरीब परिवार की श्रेणी में ही थे। उन्होंने बहुत संघर्ष कर परिवार का पालन पोषण किया। बाद में वे धानमंडी वाले मकान में किराए पर रहने लगे। इसके बाद उनकी जॉब लग गई तो वे मुंबई शिफ्ट हो गए। पराग को पढ़ाया लिखाया और आज वे इस स्थिति में है तो बहुत खुशी हो रही है।
अभी खाली पड़ा धानमंडी वाला मकान
धानमंडी वाला मकान काफी से खाली पड़ा है। पड़ोसियों ने बताया कि वे पराग के दादा रामचन्द्र को जानते थे और वे यहां कुछ सालों तक रहे। इसके बाद वे मुंबई शिफ्ट हो गए।
अजमेर व देश के लिए गौरव की बात
अग्रवाल समाज के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि पराग के सीईओ बनने से अजमेर व देश का नाम रोशन हुआ और यह बडे़ गौरव की बात है। पहले यहां खजाना गली व धानमंडी में किराए पर रहते थे। इसके बाद रामगोपाल व शशि अग्रवाल की मुंबई में जॉब लग गई तो वहां रहने लगा। वहीं पर पराग की पढ़ाई लिखाई हुई और आज वे इस मुकाम पर पहुंचे है। उनके माता पिता 4 दिसम्बर को अजमेर आएंगे और उनका स्वागत किया जाएगा।
चर्चा का विषय बना पराग
अजमेर में पराग के नाम को लेकर काफी चर्चा है। उसके पैकेज व उसके अजमेर से लिंक को जानने के लिए लोग उत्सुक दिखे।
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