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सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 809 में उर्स में आने वाले जायरीन की संख्या पर इस बार कायड विश्राम स्थली में इंतजाम निर्भर करेंगे। जिला प्रशासन और दरगाह कमेटी जरूरत के हिसाब से ही यहां शामियाने लगाएगी। विश्राम स्थली में शनिवार से तैयारियां शुरू कर दी गई।
एडीएम सिटी गजेंद्र सिंह राठौड़ और अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ ही दरगाह नाजिम अशफाक हुसैन और सहायक नाजिम डॉ मोहम्मद आदिल सहित विभिन्न अधिकारियों ने विश्राम स्थली पहुंचकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। कमेटी सूत्रों के मुताबिक हर बार 17 से 18 शामियाने जायरीन के लिए विश्राम स्थली पर लगाए जाते थे, लेकिन इस बार कोविड-19 और जायरीन की संख्या अपेक्षाकृत अधिक नहीं होने को देखते हुए शामियाने कम लग सकते हैं । प्रशासन ने यह तय किया है कि जितने जायरीन यहां पहुंचे , उसी हिसाब से शामियाने लगाए जाएं। इस बार मौसम भी ठंडा रहने की वजह से व्यवस्था है मैं भी इसका ध्यान रखा जा रहा है
डॉरमेट्री की साफ-सफाई
विश्राम स्थली में स्थित बहू मंजिला डोर मेट्री की साफ सफाई कराई जा रही से यहां पर बड़ी संख्या में जायरीन ठहर सकेंगे। इसके अलावा अन्य पक्के निर्माणों की भी साफ-सफाई कराई जा रही है। बरामदों में भी जायरीन को ठहराया जाएगा।
नमाज के लिए अलग से बनेगी अस्थाई मस्जिद
जायरीन के लिए उर्स के दौरान नमाज अदा करने के लिए विश्राम स्थली में अलग से अस्थाई मस्जिद तैयार कराई जा रही है। बुजु खाना भी अलग रहेगा। यहां ठहरने वाले जायरीन यहीं पर नमाज अदा कर सकेंगे।
सफाई और समतलीकरण का कार्य शुरू
विश्राम स्थली में सफाई और झाड़ियां हटाकर समतलीकरण का कार्य शुरू करवा दिया गया है। जेसीबी से यहां पर यह कार्य कराया जा रहा है। पेयजल का इंतजाम कराया जा रहा है। उर्स के दौरान जायरीन के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध हो इसके लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं ।
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