दरगाह का 811वां सालाना उर्स शुरू:शाही महफिल सजी, रोशन हुई दरगाह, जायरीन से छाई रौनक

अजमेर5 महीने पहले
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दरगाह में सजी महफिल - Dainik Bhaskar
दरगाह में सजी महफिल

सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स का आगाज सोमवार रात से हो गया। उर्स में शरीक होने के लिए जायरीन आवक शुरू हो गई है। दरगाह में आस्ताना शरीफ के बाहर जायरीन की लंबी कतारें लगी नजर आ रही हैं। रजब महीने का चांद दिखाई देने के साथ ही दरगाह में जायरीन ने उर्स की मुबारकबाद पेश की। जन्नती दरवाजे से भी जियारत के लिए अकीदतमंद आस्ताना शरीफ पहुंच रहे हैं। आस्ताना शरीफ के सभी गेटों पर जायरीन की लंबी कतार नजर आई। 'जायरीन दरगाह में कव्वालियों की महफिल में शरीक हुए। शाम को दरगाह में रोशनी की दुआ में भी बड़ी संख्या में जायरीन ने शिरकत की। रोशनी की दुआ के वक्त दरगाह परिसर जायरीन से भरा हुआ नजर आया।

जन्नति दरवाजे पर दाखिल हुए दरगाह दीवान।
जन्नति दरवाजे पर दाखिल हुए दरगाह दीवान।

सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स की शाही महफिल सोमवार रात से शुरू हुई। शाही दरबार सी सजी महफिल की सदारत दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान ने की। महफिल की भव्यता पवित्रता और परंपरा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महफिल के दौरान देश की विभिन्न दरगाह के सज्जादा नशीन, जायरीने ख्वाजा और खादिम सभी बा वुजू बैठे सूफी और हिंदुस्तान की प्राचीन संस्कृति की मिली जुली विरासत को आगे बढ़ाते हुए कव्वालों ने फारसी और ब्रजभाषा के कलाम पेश किए। यह कलाम सूफी बुजुगों के लिखे हुए यूं तो दरगाह शरीफ में महफिल मुगल बादशाहों के दौर से पहले से सजती रही है, लेकिन मुगल बादशाहों ने इसे अपने दरबार जैसा भव्य और शाही रूप दिया। इसका नमूना आज सदियों बाद भी पहली महफिल में भी नजर आया। यह महफिल रॉयल असेंबली यानी शाही दरबार जैसी नजर आ रही थी। महफिल से पहले दरगाह के मौरूसी अमले के सदस्य मशालची और फानूस बरदार परंपरा के अनुसार दीवान साहब की हवेली पहुंचे। दीवान आबेदीन को महफिल के लिए आमंत्रित किया। यह लवाजमा खानकाह पहुंचा। दीवान साहब खानकाह में तशरीफ़ फरमा हुए। मशालची और फानूस बरदार महफिल खाने में पहुंचे। महफिल के तमाम इंतजाम देखने के बाद वापस खानकाह आए और दीवान आबेदीन से महफिल में चलने का आग्रह किया। उसके बाद दरगाह दीवान आबेदीन महफिल खाना पहुंचे और गद्दी पर बैठे। अगरदानीबरदरा द्वारा गद्दी के सामने चांदी की आगरदानियां रखी गईं। इनमें चंदन और ऊद की गोलियां जल रही थीं।

सजी दरगाह।
सजी दरगाह।

मध्य रात्रि को अंदरून-ए-गुंबद से सूचना मिलने के बाद दरोगा महफिल खाने पहुंचा और दरगाह दीवान को गुस्ल में चलने के लिए आमंत्रित किया। दरगाह दीवान और उनके परिवार के सदस्य जन्नती दरवाजे में दाखिल हुए। यहां पर दरगाह दीवान ने गेरुआ लिबास बदला और सफेद लिबास पहना। इसके बाद अंदरून ए गुंबद शरीफ पहुंचकर गुस्ल की रस्म अदा की। वापसी में लिबास फिर तब्दील किया और फिर महफिल खाना आकर गद्दी पर बैठे। जहां फिर चोबदार ने चाय किए जाने के लिए इजाजत तलब की। दीवान साहब की इजाजत के बाद महफिल खाने में केवड़ा से तैयार की गई विशेष चाय पहले दीवान साहब और उनके परिवार के सदस्यों को पेश की गई। इसके बाद महफिल में मौजूद आशिका ने ख्वाजा को दी गई। करीब आधे घंटे कव्वाली के साथ चाय का यह दौर चला । आखिरी चौकी के कलाम पढ़ने से पहले चोबदार फिर हाजिर हुआ। महफिल के समापन के लिए दस्तरखान बिछाने की इजाजत मिलने पर दस्तरखान पर शरबत, पान के बीड़े और संदल रखे गए। आखिरी कलाम होने के बाद फिर फातिहा पढ़ी गई। अंत में कव्वालों द्वारा कड़का पढ़ा गया और पहली महफिल का समापन हुआ।

दरगाह दीवान व मौजूद लोग।
दरगाह दीवान व मौजूद लोग।

गरीब परवर सलाम

चोबदार ने बुलंद आवाज में सलाम पेश कराया। पहली चौकी के कव्वालों ने बा आदब खड़े होकर गरीब परवर सलाम साहब, बंदा परवर सलाम कहा। इसके बाद दूसरी चौकी के कव्वालों ने निगारा ए सलाम पेश किया। दीवान साहब के सलाम का जवाब देने के बाद पहली चौकी के कव्वालों ने बंदड़ा गाना शुरू किया। गरीब नवाज की शान में बधावा पेश किया गया और कव्वालियां शुरू कीं। दरगाह के शाही कव्वालों के अलावा गुलाम फरीद साबरी, शंकर शंभु राम कुमार और डागर ब्रदर्स सहित कई चोटी के कव्वाल कलाम पेश कर चुके हैं। महफिल में रामपुर के कव्वाल मोहम्मद अहमद ने कलाम पेश किए।

29 को होगी छठी की फातिहा

सरवर चिश्ती ने बताया कि रजब का चांद नजर आ गया है। अब सालाना उर्स का कार्यक्रम भी फाइनल कर दिया गया है। मजार शरीफ को शाम 7:30 बजे पहला गुस्ल दिया गया। रात को 12:30 बजे दूसरा गुस्ल दिया गया। 24 जनवरी को आस्ताना शरीफ सुबह 4 बजे खोला गया। 29 जनवरी को आस्ताना शरीफ दोपहर 2:30 बजे बंद कर दिया जाएगा। शाम 4 से लेकर रात 9:30 बजे तक जायरीन जियारत कर सकेंगे। 29 जनवरी को ही गरीब नवाज की छठी की फतिया होगी। खुद्दाम ए ख्वाजा में इस रस्म को अदा कराएंगे।

महफिल में मौजूद दरगाह दीवान।
महफिल में मौजूद दरगाह दीवान।

(फोटो-शोकत अहमद)