महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स के मौके पर हर साल बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया जाता है। इस बार यह झंडा 29 जनवरी को चढ़ाया जाएगा। गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाने वाला झंडा 1928 से एक ही झंडा चढ़ रहा है। झंडे से जुड़ी कई दिलचस्प जानकारी सैयद रऊफ चिश्ती ने उपलब्ध कराई है।
परंपरा के अनुसार हर साल अस्र की नमाज के बाद झंडे का जुलूस दरगाह गेस्ट हाउस से शाम करीब 5 बजे शुरू होता है। इस बार भी यह परंपरा निभाई जाएगी। सैयद रऊफ चिश्ती बताते हैं कि मुतवल्ली सैयद अबरार हुसैन चिश्ती के जां नशीन सैयद मारूफ अहमद चिश्ती की सदारत में यह झंडा चढ़ाया जाता है। भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य मारूफ चिश्ती की अगुवाई में ही झंडा उठा कर बुलंद दरवाजे तक जाते हैं।
ऐसे हुई शुरुआत
सैयद मारूफ चिश्ती बताते हैं कि करीब 100 साल पूर्व उर्स की शुरुआत से पूर्व अजमेर में अकाल पड़ा था। लोगों में असमंजस फैल गया कि हालात खराब हैं, इस बार गरीब नवाज का उर्स होगा या नहीं। इन हालात को देखते हुए पहली बार उर्स का झंडा बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया। इसे देख कर लोगों को जानकारी मिल गई कि उर्स मनाया जाएगा। उस समय प्रचार-प्रसार के कोई साधन हुआ नहीं करते थे।
आग्रह करने आता है भीलवाड़ा का गौरी परिवार
रऊफ चिश्ती ने बताया कि प्राचीन परंपरा है कि भीलवाड़ा का गौरी परिवार पहले उनके पास झंडा लेने आता है। इस झंडे को लेकर वह दरगाह गेस्ट हाउस पहुंचते हैं। दरगाह गेस्ट हाउस में स्थित डिप्टी कार्यालय के स्थान पर पहले चबूतरा व गार्डन हुआ करता था, वहीं पर गौरी परिवार के लोग झंडा तैयार करते हैं।
झंडा जब तैयार हो जाता है, तब वे लोग उनके पास आते हैं और सदारत के लिए आग्रह करते हैं, जब वे पहुंचते हैं तो जुलूस की शुरुआात उनके परिवार के सदस्य की सदारत में होती है। अभी सैयद मारूफ चिश्ती की सदारत में यह जुलूस निकलेगा।
100 साल बाद बदलेंगे झंडा
चिश्ती ने बताया कि झंडा जब 100 साल का हो जाएगा, तब नया झंडा बनाया जाएगा। अभी करीब 7-8 साल बाकी हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.