तीर्थ नगरी पुष्कर में गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के सानिध्य में 23 वां राष्ट्र रक्षा एवं साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शिविर के दूसरे दिन शंकराचार्य ने हिंदू धर्मावलंबियों की आशंकाओ को अपने प्रवचनों के माध्यम से दूर किया।
उत्तराखंड में किया पुरजोर विरोध
पत्रकारों से बातचीत के दौरान शंकराचार्य ने कहां की जगतपिता ब्रह्मा मंदिर की गद्दी शंकराचार्य परंपराओं से संबंधित है । शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने उत्तराखंड बीजेपी सरकार का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने भी मंदिर मठों के प्रबंध को सरकार के अधीन कर लिया था। वहां भी मैंने उनका पुरजोर विरोध किया। इसी के चलते उन्हें अपना निर्णय वापस लेना पड़ा।
'महंत की गद्दी पर विराजित कराएं'
शंकराचार्य ने कहा कि किसी भी धर्मनिरपेक्ष सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह हिंदुओं के मठ मंदिरों पर अपना अधिकार जमाए। उन्होंने कहा कि अभी जो सरकार यहां व्यवस्थाए संभाल रही है। वह तुरंत ब्रह्मा मंदिर को अपने अधिग्रहण और प्रबंधन से मुक्त करें। और परंपराओं के अधीन अधिकारी को महंत की गद्दी पर विराजित करवाएं । इसके लिए पुष्कर की जनता को भी आगे आना होगा। शंकराचार्य ने पुष्कर के आमजन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यहां के लोग चुप क्यों हैं ? आवाज क्यों नहीं उठाते ?
कई लोग रहे मौजूद
इस दौरान कार्यक्रम आयोजक अजय शर्मा, कार्यक्रम संयोजक सत्यनारायण भंसाली, अरुण पाराशर, पूर्व पालिका अध्यक्ष सूरज नारायण पाराशर, जिला परिषद सदस्य महेंद्र सिंह, तीर्थ पुरोहित चंद्रशेखर गौड़, जय कुमार पाराशर, नेहरू पंडित सहित धर्मावलंबी मौजूद रहे।
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