सुबह-सुबह आपको कचौरी की तलब लगे तो क्या करेंगे। घर से निकलेंगे और पैदल या अपनी गाड़ी से कचौरी वाली दुकान तक पहुंच जाएंगे। आपको शौक पूरा हो जाएगा। लेकिन दिक्कत तो तब होगी जब आप ट्रेन के इंजन के पायलट हों, और कचौरी की तलब पूरी करनी हो। शायद आप कचौरी से ज्यादा अपनी ट्रेन पर ध्यान देंगे। लेकिन सभी ऐसा नहीं करते। राजस्थान में एक ट्रेन के लोको पायलट को हर दिन कचौरी खाने की ऐसी तलब लगती है कि वह ऐन रेल फाटक पर इंजन खड़ा कर देता है। जब तक गेटमैन उसे कचौरियों का पैकेट नहीं थमाता, वह इंजन में ही बैठकर इंतजार करता है। गेटमैन से कचौरी लेने के बाद ही इंजन आगे बढ़ता है। अलवर के दाउदपुर फाटक पर सुबह 8 बजे के आसपास रोज ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है। हॉर्न बजते ही रेल फाटक थोड़ी देर के लिए बंद हो जाता है। जब तक कचौरी लेकर लोको पायलट इंजन आगे नहीं बढ़ाता, तब तक लोग दोनों तरफ इंतजार करते रहते हैं।
लोको पायलट को कचौरियां पहुंचाने वाले फाटक पर तैनात रेलवे कर्मी का इस बारे में कहना है कि कुछ ही मिनटों के लिए तो इंजन रुकता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं, जयपुर डीआरएम नरेंद्र कुमार ने कहा कि मामला सामने आने के बाद जानकारी ली जा रही है। जांच शुरू कर दी है। अब एक्शन लिया जाएगा।
दरअसल, मथुरा पैसेंजर ट्रेन अलवर जंक्शन पर पहुंचती है तो यहां उसका इंजन चेंज होता है। इंजन चेंज करने के लिए दाउदपुर फाटक से आगे तक जाना पड़ता है। इस दौरान इंजन जब वापस आ रहा होता है, तब कचौरियों का पैकेट लेने के लिए लोको पायलट इंजन को गेट के पास रोक देता है। गेटमैन फाटक के पास की दुकान से कचौरियां लाता है और लोको पायलट को दे देता है। इसके बाद ही इंजन वहां से आगे बढ़ता है।
गेटमैन बोला- कुछ मिनट ही तो इंजन रुकता है, फर्क नहीं पड़ता
दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने फाटक पर ड्यूटी दे रहे रेलकर्मी से इस बारे में पूछा तो उसका कहना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कुछ ही देर के लिए तो इंजन रुकता है। लोको पायलट को तुरंत कचौरी दे दी जाती है। ट्रेन की शंटिंग के दौरान ऐसा होता है। ऐसा नहीं है कि इसकी वजह से फाटक को अधिक देर तक बंद रखना पड़ता है।'
फाटक बंद होने पर हर दिन यहां सैकड़ों लोगों को परेशानी होती है। लोगों का कहना है कि सुबह का समय सभी के लिए बेहद अहम होता है। किसी को अस्पताल पहुंचना होता है तो किसी को स्कूल। ये लोग ऐसे समय में कचौरी लेने-देने के लिए इंजन रोक देते हैं। इनको कोई कुछ कहने वाला नहीं है। उधर, अलवर स्टेशन अधीक्षक आरएल मीणा ने कहा, 'इंजन या ट्रेन को लोको पायलट अपनी मर्जी से नहीं रोक सकता। उसे कुछ अबनॉर्मल लगे तो रोक सकता है। कचौरी के लिए इस तरह इंजन रोकना गलत है। शंटिंग के समय भी इंजन की स्पीड तय होती है। उसी के अनुसार चलाना होता है।'
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