अलवर नगर परिषद का कोई धणी धोरी नहीं है। सभापति कक्ष के ताला लगा है। उप सभापति घनश्याम गुर्जर संविधान के तौर पर सभापति की खाली कुर्सी को संभालना चाहते हैं। लेकिन उससे पहले ही सभापति कक्ष को ताला लगा दिया गया। इस कारण भाजपा पार्षदों ने सभापति के चैंबर के बाहर एक कुर्सी डाली। जिस पर उप सभापति को बतौर कार्यवाहक सभापति बनाया। लेकिन कार्यभार दिलाने वाले कमिश्नर ऑफिस में नहीं है। उनकी जगह कार्यवाहक कोई कमिश्नर बनने को तैयार नहीं है। न कोई जनता की सुन रहा न कोई काम हो रहे हैं।
उप सभापति घनश्याम गुर्जर ने कहा कि कानून के अनुसार सभापति की कुर्सी खाली होने पर उप सभापति का चार्ज दिया जाता है। लेकिन यहां राज्य सरकार मनमर्जी करने पर तुली है। सरकार के लगाए नेता भ्रष्टाचार में फंस जाते हैं। इसलिए भाजपा के नेताओं को आजमाना चाहिए। वैधानिक रूप से भी अब सभापति की कुर्सी पर उप सभापति का अधिकार है। लेकिन यहां प्रशासन मनमर्जी करने लगा है। सभापति के चैंबर को ही ताला लगा दिया। ताकि उप सभापति उनकी कुर्सी पर आकर नहीं बैठ सकें।
जनता की कोई नहीं सुन रहा
यहां सभापति व उप सभापति की नहीं सुनवाई हो रही है तो जनता को कौन सुध लेगा। अब सरकार को अविलंब उप सभापति को सभापति की कुर्सी देनी चाहिए। ताकि जनता का भला हो सके। जनता के काम रुके हुए हैं। कांग्रेस की पूर्व सभापति बीना गुप्ता को एसीबी ने ट्रैप किया। इसके बाद कांग्रेस के पार्षद नरेंद्र मीणा ट्रैप हो गए। सरकार ने पहले सभापति बीना गुप्ता के साथ उप सभापति घनश्याम गुर्जर को सस्पेंड किया। जिसे बाद में कोर्ट के आदेश पर बहाल करना पड़ा। जब सरकार ने उप सभापति को बहाल मान लिया तो अब सभापति का चार्ज भी दे देना चाहिए।
पार्षदों में रोष
पार्षद सतीश यादव व अरुण जैन ने कहा कि सरकार की मनमर्जी है। जिससे जनता का नुकसान हो रहा है। आमजन को अलवर नगर परिषद का हाल समझ आ गया है। जिसका जवाब जनता आगे देगी। सब पार्षदों ने एडीएम को ज्ञापन भी दिया है। इसके अलावा सभापति कक्ष के बाहर घनश्याम गुर्जर के नाम से नेम प्लेट भी लगा दी है। अब आगे सरकार को जल्दी निर्णय करना चाहिए। इसको लेकर खूब विरोध भी जताया गया। इस दौरान काफी संख्या में पार्षद मौजूद थे।
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