विदेशों से डीएपी आयात नहीं होने के कारण इस बार अलवर में भी स्टेट वियर हाउस के डीएपी के गोदाम खाली हैं। अब तक अलवर जिले को केवल 17 सौ टन डीएपी मिला है। जबकि अकेले सरसों की खेती के लिए जिले के किसानों को करीब 18 हजार मीट्रिक टन की जरूरत है। कृषि अधिकारियों ने कुल 26 हजार मीट्रिक टन की मांग भेजी थी। जबकि सरकार ने केवल 13 हजार मीट्रिक टन डीएपी देना मंजूर किया है। उसमें से भी केवल 17 सौ टन मिला है। अब डीएपी नहीं आने से कृषि अधिकारी किसानों को डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट काम लेने को जागरूक करने में लगे हैं। ताकि किसानों की सरसों की बुआई समय पर हो सके।
2 लाख 70 हजार हैक्टेयर में होगी सरसों
इस बार जिले में सरसों की की बुआई करीब 2 लाख 70 हजार हैक्टेयर में हो सकती है। जो पिछले साल से करीब 20 हजार हैक्टैयर अधिक है। जबकि गेहूं की बुआई का एरिया कम हो सकता है। करीब 1 लाख 50 हजार हैक्टेयर से कम हो सकता है।जबकि पिछले साल गेहूं का 1 लाख 80 हजार हैक्टेयर के आसपास रहा है।
311 साेसायटियाें पर किसान परेशाान
जिले में 311 क्रय-विक्रय सहकारी समितियां हैं। जाे किसानाें काे खाद उपलब्ध कराती हैं। लेकिन इस समय किसी भी सोसायटी के पास खाद नहीं है। यही हाल डीलरों का है। जिले में करीब 950 खाद-बीज के डीलर हैं। जिसमें से मुश्कल से 70 से 75 के पास थोड़ा बहुत खाद हो सकता है। अब तक केवल 17 सौ टन खाद आया। जो केवल 50 से 70 डीलरों तक ही पहुंचा है। बाकी अधिकतर सोसायटी को डीएपी मिला ही नहीं है।
डीएपी विदेशों से नहीं आ रहा
कृषि अधिकारी पीसी मीणा ने बताया कि इस बार विदेश से आयात होने वाला डीएपी भारत नहीं आ पा रहा। इस कारण डीएपी की किल्लत है। बाजार में भाव एक हैं। बाहर से डीएपी नहीं आने का कारण सरकार कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी नहीं बढ़ा रही है। जिसके कारण बाजार में डीएपी की किल्लत है।
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