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कृषि कानून के विरोध में अलवर के शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है। बदलते मौसम से बढ़ती सर्दी ने किसानों को जकड़ रखा है। मौसम की मार से किसान परेशान हैं। लेकिन डटे हुए हैं। किसानों का आंदोलन अभी तक शांतिपूर्वक है। इतना जरूर है कि 8 जनवरी को केंद्र सरकार और किसानों के बीच होने वाली वार्ता के निर्णय के बाद यहां के किसान नेता भी आगे की रणनीति का ऐलान कर सकते हैं।
जब तक किसानों के हित में बेनीवाल तब तक सब साथ: रामपाल
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट कई दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद वापस शाहजहांपुर बॉर्डर पर आ चुके हैं। उनका कहना है कि नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, उनके कार्यकर्ता का किसान आंदोलन में शांति पूर्ण योगदान रहा है। जब तक बेनीवाल व उनके साथ आए कार्यकर्ता और किसान साथ हैं आंदोलन और गति पकड़ेगा। किसान आंदोलन से अलग जाकर बेनीवाल कोई भी निर्णय करते हैं तो निश्चित रूप से वह उनका व्यक्तिगत निर्णय होगा। किसानों की लड़ाई के लिए सब साथ हैं। अब तक किसानों का संघर्ष काफी हद तक सफल रहा है।
तंबू और टेंट से बूंदें टपक रही, बगल में पानी भरा
पिछले करीब 4 दिनों से शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर किसानों की मुश्किलें कई गुना बढ़ी है। फिलहाल, यहां पर किसानों के तंबू और टेंट बारिश में भीग चुके हैं। अंदर रखा सामान भी गीला होने से किसानों का वहां रात में रुकना मुश्किल हो चुका है। बहुत बार तो ऐसा होता है कि बारिश आने के बाद किसानों को अलाव के सहारे रात निकालनी पड़ती है।
3 दिन से धूप भी नहीं
शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर के चारों तरफ हजारों बीघा जमीन में खेती है। खेतों में सिंचाई के कारण वहां का न्यूनतम तापमान जिले के अन्य जगहों की तुलना में काफी कम रहता है। फसल के कारण रात्रि को ओस भी खूब पड़ती है।
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