यूक्रेन से अलवर के खैरथल निवासी मेडिकल स्टूडेंट हर्ष व्यास गुरुवार देर शाम खुद के घर पहुंच गए। यहां आने पर हर्ष ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे नया जीवन मिल गया हो। वहां 3 दिन तक हर पल खौफ में गुजरा। रात को भी धमाकों की गूंज सुनाई देती रही। ऐसे में कुछ देर भी नींद नहीं ले पाए थे। हर पल मौत नजर आने लगी थी। यूक्रेन से बॉर्डर पर आने के लिए ट्रेन में चढ़ने से पहले रिश्वत तक देनी पड़ी।
24 फरवरी के बाद से नहीं सोए ढंग से
हर्ष ने बताया कि 24 फरवरी काे धमाकों के बाद से हम ढंग से नींद नहीं ले सके। 25 फरवरी काे खाने-पीने का सामान लेकर हम बंकर में चले गए। खाने का सामान खत्म हाेने पर वापस बाहर आते। बाहर बम के धमाके देखकर सहम जाते थे। 28 फरवरी काे हम लाेग 5 कि.मी. पैदल चलकर खारकीव रेलवे स्टेशन पर पहुंचे ताे वहां इंडिया वालों काे एन्ट्री नहीं दी जा रही थी। पहले यूक्रेन के लाेगाें काे बाहर निकाला जा रहा था । वहां पर रिश्वत देकर रेलवे स्टेशन में घुसे। धक्का-मुक्की कर ट्रेन में चढ़े। फिर 1300 कि.मी. का सफर कर पोलैण्ड बॉर्डर पहुंचे। वहां पर हमें जनरल वीके सिंह व राजूदत नगमा मलिक मिले । जिन्होंने हमारा काफी ध्यान रखा। 2 मार्च की रात लगभग 10 बजे हम फ्लाइट से रवाना हुए। 3 मार्च को दोपहर 2 बजे हम इंडिया पहुंचे। वतन लौटने पर लगा जैसे हमें नया जीवन मिल गया है। दिल्ली से देर रात्रि रवाना हाे कर खैरथल पहुंचे।
बराबर जानकारी जुटा रहे
इधर, एसडीएम ओपी सहारण ने बताया कि यूक्रेन से लाैट रहे छात्राें का वाट्सएप ग्रुप बनाकर जानकारी अपडेट की जा रही है। अलवर आने वाले एक-एक स्टूडेंट के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
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