अलवर में मूकबधिर नाबालिग से गैंगरेप मामले में 10 दिन बाद भी कोई खुलासा नहीं हो पाया है। प्रशासन ने शुक्रवार को घटनास्थल से सबूतों को ही साफ कर दिया। मासूम जिस जगह पर लहूलुहान मिली थी, उस जगह को इन्वेस्टिगेशन के लिए सील करने के बजाय सबूत मिटा दिए गए।
राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने का ऐलान कर रखा है, लेकिन अब तो मौके पर सब कुछ साफ हो चुका है। पुलिस के सीनियर एक्सपर्ट ने (नाम नहीं छापने की शर्त पर) बताया कि पुलिस अपने मन मुताबिक जो सबूत देगी, उसी के आधार पर सीबीआई जांच करेगी।
शुक्रवार को नगर परिषद की टीम घटनास्थल पर सफाई करने में जुटी तो पहले दिन से इस मामले पर नजर रख रहे भास्कर ने जिम्मेदारों से सवाल किए, लेकिन कलेक्टर को मामले की जानकारी नहीं थी और एसपी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थीं।
सबसे बड़ा सवाल, इतनी जल्दी क्या थी ?
मूकबधिर के साथ गैंगरेप मामले को 10 दिन बीत गए हैं। पुलिस बार-बार कहानियां बदल रही है। अभी तक कोई तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस मामले में राजनीतिक स्तर पर विरोध बढ़ा तो राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच देने की घोषणा कर दी। इस बीच, फ्लाई ओवर ही एक मात्र ऐसी जगह थी, जो घटना की गवाह थी। वहां से सबूतों को इस तरह साफ कर दिया गया। हकीकत यह है कि यहां पर नगर परिषद की टीमें कभी सामने नहीं दिखतीं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि घटनास्थल पर सफाई करने की इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई।
कलेक्टर सहित अन्य अफसरों ने कहा- हमें नहीं पता
जिस फ्लाईओवर पर पीड़िता के खून बिखरे थे, जहां गैंगरेप से संबंधित सबूत पड़े थे, उस जगह पर नगर परिषद ने शुक्रवार को सफाई करा दी। सबूत मिटाने के इतने बड़े खेल से अब कलेक्टर से लेकर पुलिस तक जानकारी न होने की बात कह रही है। साफ है कि पुलिस लीपापोती की कोशिश में जुटी है। सीबीआई को केस देने की प्रक्रिया के बीच इस तरह का रवैया सवाल खड़े करने लगा है।
मौके की जगह को सील किया जाता है
एक आईपीएस ने बताया कि ऐसी घटनाओं में मौके की जगह को सील किया जाता है ताकि सबूतों को सुरक्षित रखा जा सके। वारदात की जगह पर झाड़ू लगा दी गई। जेसीबी से सफाई करा दी गई। ऐसे में वहां किसी तरह का सबूत बचा ही नहीं होगा। आगे नई एजेंसी को जांच करनी पड़ी तो शुरुआत में लिए गए सैंपल के ही आधार पर इन्क्वायरी आगे बढ़ेगी। खुद के स्तर पर अलग से सैंपल मिलान करने का विकल्प खत्म हो गया है।
दरिंदगी पर पर्दा डालने का प्रयास
साफ है कि अब सीबीआई के पास अपने स्तर से जांच का कोई विकल्प नहीं बचता। पुलिस के दिए हुए सबूतों के आधार पर ही सीबीआई की जांच आगे बढ़ेगी। पुलिस प्रशासन के इस रवैये ने साफ कर दिया है कि नाबालिग से हुई दरिंदगी पर पर्दा डाला जा रहा है।
गैंगरेप से 15 मिनट पहले तक के सीसीटीवी फुटेज भास्कर ने दिखा दिए थे, जिसमें लड़की फ्लाईओवर पर सड़क किनारे चल रही है। ठीक 15 मिनट बाद वह लहूलुहान हालत में मिलती है।
गैंगरेप के बाद फ्लाईओवर पर छोड़कर भाग गए थे आरोपी
11 जनवरी की देर रात दरिंदों ने बेजुबान नाबालिग के साथ गैंगरेप कर तिजारा फ्लाईओवर पर फेंक दिया था। हैवानों ने नाबालिग बच्ची को किसी नुकीली चीज से मारकर जख्मी कर दिया था। मूक-बधिर होने की वजह से मासूम चिल्ला भी नहीं सकी। आरोपी उसे गाड़ी में लेकर घूमते रहे, लेकिन खून बंद नहीं होने पर फ्लाईओवर पर छोड़कर भाग गए। उसके प्राइवेट पार्ट से काफी खून बह चुका था। अंदर तक जख्म गहरा था। इसे देखकर एसपी ने पहले दिन इसे सेक्सुअल असॉल्ट माना था।
पुलिस का रवैया बदला
दो दिन बाद ही पुलिस का रवैया बदलने लगा। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने रेप होने की आशंका से इनकार कर दिया। उसके बाद पुलिस ने हादसा मानते हुए सबूत जुटाने शुरू किए। फिर भी पुलिस कुछ स्पष्ट नहीं कर पाई। पुलिस के बार-बार बयान बदलने से जनता में नाराजगी है। अलवर में लगातार विरोध हो रहा है। इस मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
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