इंसान अपनी सोच सकारात्मक रखे तो बड़े से बड़ा संकट भी आसानी से निकल जाता है। खासकर कोरोना संक्रमितों के साथ सकारात्मक सोच यानी मजबूत हाैसला ही वायरस से लडऩे में सबसे बड़ा हथियार साबित हाे रहा है। ऐसा ही एक मामला आसपुर उपखंड क्षेत्र के सरमरिया ओड़ा गांव में देखने को मिला है। 94 वर्षीय गम्भीर कुंवर पत्नी दर्जन सिंह सिसोदिया 15 मई को पॉजिटिव रिपोर्ट आई। उनको बुखार आ रहा था तथा जुकाम, खांसी हो रही थी।
डॉक्टरों ने भर्ती करने की सलाह दी लेकिन गम्भीर कुंवर ने अपने पुत्रों को मना कर दिया और बोली कि मुझे कुछ नहीं होगा, घर पर ही रखकर इलाज करो। हुआ भी ऐसा ही, रविवार को होम आइसोलेशन के 14 दिन पूरे हो गए। डॉक्टरों ने चैक किया और ओके रिपोर्ट दी है। वृद्ध गम्भीर कुंवर ने अपनी मजबूत इरादों से कोरोना जैसे भयंकर संक्रमण को आसानी से हरा दिया।
चार पुत्रों की माता गम्भीर कुंवर के बड़े पुत्र मानसिंह सिसोदिया ने बताया कि वह अपने छोटे भाई हमीर सिंह के साथ गांव में खेतीबाड़ी संभालता है। बीच के दो भाई दूल्हे सिंह कृषि विभाग में सुपरवाइजर है तथा इससे छोटा लक्ष्मण सिंह प्रिंसीपल है।
दिन में चार बार चैक करते थे ऑक्सीजन लेवल, मामा की मौत की खबर भी मां को नहीं दी
पुत्र हमीर सिंह ने बताया कि कई बार ऐसा लगता था कि मां को किसी बड़े अस्पताल में भर्ती करना ही पड़ेगा लेकिन ऐसी परिस्थिति नहीं बनी। दिन में चार बार ऑक्सीजन लेवल चैक करते, लेवल हमेशा 94 से ऊपर ही बना रहा। दस दिन पूर्व मामाजी की मृत्यु हो गई, मां को सदमा न लगे यह सोच दुखद समाचार मां को पूर्णत:स्वस्थ होने तक नहीं बताए। उनको ऑक्सीमीटर आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सिनेश जैन ने उपलब्ध कराया था।
वेक्सिनेशन की दोनों डोज लग चुकी थी, इन्हीं से बूढ़े शरीर को मिली संक्रमण से लड़ने की शक्ति पुत्र लक्ष्मण ने बताया कि मां को सुबह मूंगदाल व चावल की खिचड़ी, संतरे व नींबू का रस, दोपहर को भी संतरे, नींबू व अन्य फलों का रस तथा शाम को रोटी व हरी सब्जी दी जाती थी।, साथ ही उनको लग चुकी वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 10-12 दिन में ही उनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई थी। आयुर्वेद चिकित्सालय आसपुर के डॉक्टर सिनेश जैन का योगदान रहा। छोटे पुत्र लक्ष्मणसिंह ने ऑक्सीमीटर, भाप मशीन व औषधियां उपलब्ध कराई तथा आवश्यक परामर्श देते रहे।
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