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साढ़े तीन साल पहले रामसागड़ा थाना क्षेत्र के विकासनगर रमैया फला निवासी 19 वर्षीय कैलाश ननाेमा की धारदार हथियार से हत्या के मामले का अब तक खुलासा नहीं हाे सका है। परिजनों से ओर से पुलिस काे ज्ञापन देकर आरोपियों काे पकड़ने की मांग भी की थी। इस मामले में दाे बार पॉलीग्राफ टेस्ट भी हाे चुका है, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आ सकें। अब हाइकोर्ट के आदेश की पालना में प्रकरण काे रिओपन किया है। अनुसंधान अधिकारी सीमलवाड़ा डीएसपी इस मामले की प्रगति रिपोर्ट हर सप्ताह पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी को पेश करेंगे।
इसके लिए पुलिस की टीम गठित कर दाे थानाधिकारी काे शामिल किया है। दरअसल, कैलाश हत्याकांड में अज्ञात आरोपियों की तलाश जारी रखते हुए 30 नवंबर 2019 फाइनल रिपोर्ट अदम पता आरोपी में निस्तारण आदेश दिया था। हाइकोर्ट एसबी क्रिमिनल मिस पिटिशन के आदेश की पालना में प्रकरण काे रिओपन करने के आदेश दिए।
अब इस मामले के खुलासे के लिए सीमलवाड़ा डीएसपी रामेश्वर लाल काे अनुसंधान अधिकारी बनाया गया है। घटना के खुलासे के लिए गठित टीम में बिछीवाड़ा थानाधिकारी रिजवान खान, रामसागड़ा थानाधिकारी बाबूलाल डामोर, जिला स्पेशल टीम प्रभारी एवं मय टीम, हैड कांस्टेबल मनोहर सिंह, कांस्टेबल गिरीश कुमार, मनोहरलाल, जयंतीलाल, लक्ष्मण सिंह को शामिल किया गया है।
10-11 मई 2017 काे कैलाश की धारदार हथियार से की थी हत्या
दरअसल, 10 मई 2017 को विकासनगर रमैया फला निवासी कैलाश ननोमा ने परिवार के साथ खाना खाया। इसके बाद रात करीब 11.30 बजे घर के पीछे सोने के लिए गया था।
घर के पीछे की ओर वह सो रहा था कि रात के समय उसकी धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी थी। 11 मई 2017 को सुबह करीब 6:30 बजे कैलाश की मां गंगा उसे उठाने के लिए गई ताे जोर से चिल्लाई। आवाज सुनकर भरत और भाभी लीला दौड़ कर आए तो देखा कि छोटे भाई कैलाश को किसी अज्ञात व्यक्ति ने चेहरे व गर्दन पर गंभीर चोट कर लहूलुहान कर उसकी हत्या कर दी है। खांट पर लहूलुहान हालत में पड़ा था।
इस पर पुलिस व गांव के लोगों को इस घटना के बारे में सूचना दी गई। रिपोर्ट में बताया था कि गांव के बंशीलाल पुत्र कांतिलाल, लसु पुत्र वालमा, जगदीश पुत्र जालमा व अन्य दाे व्यक्ति से झगड़ा होने के कारण बंशीलाल ने छोटे भाई कैलाश को देख लेने की धमकी भी दी थी। सभी मिलकर हत्या भी कर सकते हैं।
इस रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। तत्कालीन थानाधिकारी ने जांच शुरू की थी। दरअसल, कैलाश अहमदाबाद में मजदूरी करता था। भतीजी की शादी हाेने से पांच मई काे गांव आया था। छह मई काे शादी के दाैरान तकरार हुई थी। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ भी की थी।
यह हाेता है पॉलीग्राफ टेस्ट, इस केस में हाे चुका है दाे बार
दरअसल, कैलाश हत्याकांड का खुलासा करने के लिए पुलिस ने दाे से तीन आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था। पुलिस टीम ने दाे बार पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था, लेकिन मामले का खुलासा नहीं हाे सका था। पॉलीग्राफ यह एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग झूठ पकड़ने के लिए किया जाता है। खास कर इसका प्रयोग तब किया जाता है जब किसी अपराध का पता लगाना हो। पॉलीग्राफ टेस्ट मशीन को झूठ पकड़ने वाली मशीन के नाम से भी जाना जाता है।
झूठ का पता लगाने के लिए मशीन को व्यक्ति के शरीर से जोड़ा जाता है। उसकी हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और दिमाग सिग्नल को देखा जाता है।
एक व्यक्ति प्रश्न पूछता रहता है। यदि वह झूठ बोलता है तो उसके दिमाग से एक सिग्नल निकलता है। और उसके हर्ट रेट व ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। जिसको कंप्यूटर के अंदर सहेज लिया जाता है। यदि व्यक्ति अपराध के बारे मे कुछ नहीं जानता है तो उसके दिमाग से सिग्नल नहीं निकलेगा।
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