जिला परिषद डूंगरपुर की बैठक बुधवार को हंगामे के बाद बहिष्कार की भेंट चढ़ गई। भाजपा के सदस्य अपनी पार्टी की ही जिला प्रमुख के खिलाफ हो गए। जिला प्रमुख व सीईओ के खिलाफ मनमर्जी से काम करने का आरोप लगाकर कांग्रेस व बीटीपी सदस्यों के साथ बाहर आकर गार्डन में बैठ गए। 27 सदस्यों में से उप जिला प्रमुख समेत 25 सदस्यों ने बहिष्कार किया। करीब एक घंटे इंतजार के बाद जिला प्रमुख खुद सदस्यों को मनाने गार्डन में गई। समझाने पर सदस्य माने और फिर सीईओ से बातचीत करने गए। जिले के विभिन्न विकास कार्यों के प्रस्तावों के अनुमोदन को लेकर बुधवार को विशेष साधारण सभा हुई। जिला प्रमुख सूर्या अहारी की अध्यक्षता में बैठक में सीईओ अंजलि राजोरिया ने कई प्रस्तावों के बारे में अनुमोदन के लिए कहा। इसी दौरान उप जिला प्रमुख सुरता अहारी समेत सभी सदस्य भड़क गए। सदस्यों ने कहा कि सालभर का समय होने को आया है। मगर आज तक जनता से किए वादे पूरे नहीं हुए है।
लाखों-करोड़ों का बजट,तब भी विकाय कार्य अधूरे
जिला परिषद में लाखों-करोड़ों का बजट विकास के नाम पर आता है। पैसा कहा जा रहा है और उनके क्षेत्र में विकास के कौनसे काम हो रहे है,उसकी जानकारी सदस्यों को नहीं दी जाती हैं। गांवों में विकास के जो प्रस्ताव उन्होंने दिए थे,उनका अब तक कोई जवाब नहीं है। इसे लेकर बैठक में जमकर हंगामा हुआ। 27 में से 25 सदस्य बैठक का बहिष्कार करते हुए बाहर निकल गए। इसमें भाजपा के सदस्य भी बहिष्कार में शामिल थे।
उप जिला प्रमुख सुरता के नेतृत्व में सदस्य कलेक्ट्री परिसर में स्थित गार्डन में आकर बैठ गए और जिला प्रमुख व सीईओ के मनमर्जी के खिलाफ आक्रोश जताया। सदस्यों ने उनकी मांगे पूरी नहीं होने तक बैठक में नहीं जाने की मांग पर अड़ गए। करीब घंटेभर बाद जिला प्रमुख सूर्या अहारी ऑफिस से निकली और गार्डन में सदस्यों के बीच पंहुच गई।
जिला प्रमुख ही नहीं सुनेंगी तो अधिकारी कहा मानने वाले है
गार्डन में जिला प्रमुख के सामने सदस्यों ने
भड़ास निकाली। जिला परिषद सदस्य सुरमाल रोत, हरीश अहारी ने कहा कि आप जिला प्रमुख है और हम सदस्यों के साथ गांवों के विकास की जिम्मेदारी हम सबकी है। जिला परिषद की कई बैठक हो गई, जिसमें सदस्यों ने कई प्रस्ताव दिए और उनका अनुमोदन भी करवाया लेकिन आज तक एक काम नहीं हुआ। सीईओ से पूछते है तो कहती है पहले जिला प्रमुख के पास जाओ और जिला प्रमुख को फोन करते है तो फोन तक नहीं उठाती। ऑफिस में मिलती तक नहीं है। ऐसे में उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। सदस्यों ने विकास कार्यों की सूची उन्हें देने, ग्राम विकास अधिकारियों के मनमर्जी से तबादले नहीं करने की मांगे रखी। जिला प्रमुख ने उनकी मांगों पर मिल बैठकर समाधान निकालने का भरोसा दिलाया। इसके बाद सभी सदस्य वापस जिला परिषद सीईओ के पास गए और उनसे भी बातचीत की।
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