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कृषि को मुनाफे का धंधा बनाने की दिशा में शनिवार को कृषि विज्ञान फलोज में टिकाऊ कृषि पद्धति विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों को कुशल और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादन, सुरक्षित खाद्य उपभोग के लिए अच्छे कृषि अभ्यास को बहुत महत्वपूर्ण बताया। टिकाऊ कृषि पद्धतियों से अपेक्षित लाभ प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मिट्टी के प्रकार, कटाव की विशेषताओं, भू जल स्तर और गुणवतता, स्थायी जन संसाधनों की स्थिति ध्यान में रखने की सलाह दी गई।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी डॉ. सीएम बलाई ने बताया कि अनिवार्य रूप से गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिस उपभोक्ता के सामने फसल उत्पादन से लेकर उत्पादों तक की सभी उत्पादन प्रक्रियाओं को कवर करती है। केन्द्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. बीएल रोत ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि रोग और कीटों के खिलाफ लड़ाई में यांत्रिक, जैविक या जैव तकनीकी तरीकों को पहले लागू किया जाना चाहिए और अंतिम रासायनिक नियंत्रण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
कृषि मौसम विशेषज्ञ डॉ. जीपी नारोलिया ने बताया कि उच्च गुणवत्ता और उच्च पैदावार प्रदान करने के लिए उच्च उपज वाली फसलों की किस्मों का उपयोग किया जाना चाहिए। प्रशिक्षण में कैलाश खराड़ी ने सभी प्रतिभागियों को कृषि विज्ञान केन्द्र फार्म का भ्रमण कराया। प्रत्येक कृषक को मिर्च व बैंगन के पौधे वितरित किए। प्रशिक्षण में जिले के देवला, हथाई, फलोज आदि गांवों के 32 महिला पुरुष कृषक शामिल हुए।
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