डैयाना ग्राम पंचायत (डूंगरपुर) के वासेला गांव में सोमवार को ग्रामीणों ने करीब 14 फीट लंबे अजगर को तलवार से काट डाला। अजगर शिकार को मारने के 16 घंटे बाद उसी जगह पर बकरी खाने आया था। तभी घात लगाए बैठे हथियारमंद ग्रामीणों ने उसकी बलि चढ़ा दी। तलवार से अजगर पर कई वार किए गए। इससे पहले रविवार शाम करीब 6 बजे अजगर ने गांव के खेतों चर रही बकरी को कुंडली में लपेट लिया।
यह देख चरवाहा मौके से भागा और गांव में लोगों को इसकी सूचना दी। इस पर ग्रामीण शाम को ही तलवार, धारिया लेकर उसे मारने आए, लेकिन तब अजगर की किस्मत ने साथ दिया। बड़ी संख्या में ग्रामीण लट्ठ बजाते हुए घटना स्थल की ओर बढ़े तो जमीन की धमक पाकर अजगर समीप के गन्ने के खेत में छिप गया। गन्ने की फसल की आड़ी पड़ी हुई थी और अंधेरा भी होने लगा था। यह देख लोगों ने कुछ देर तलाश की, लेकिन कोशिश सफल नहीं हुई, लेकिन, लोगों ने मरी हुई बकरी को वहीं रहने दिया। यह सोचकर कि अजगर वापस आएगा। सोच के मुताबिक हुआ भी ऐसा। रात को गायब हुआ अजगर सुबह करीब 10 बजे मरी हुई बकरी के पास पहुंचा। तभी घात लगाए बैठे युवकों ने उस पर तलवार से कई वार किए। बाद में मरे हुए अजगर और बकरी के साथ फोटो भी खिंचवाए। गौरतलब है कि बकरी का मालिक वासेला निवासी अशोक पुत्र ईश्वर मईड़ा है। वहीं अजगर को मारने वाले युवक की पहचान खड़गदा निवासी बापू नानोमा के तौर पर हुई है।
जिम्मेदारों का ऐसा जवाब
इधर, वनविभाग सागवाड़ा के योगेश पुरोहित ने बताया कि ग्रामीणों से अजगर की सूचना मिली थी। बिना देर लगाए वह एवं वागड़ बने वृंदावन ग्रुप के हरेश कुमार दवे मौके पर अजगर को तलाशने भी गए। अंधेरा होने के कारण वह ग्रामीणों के बीच समझाइश करके भी आए। फिर अजगर दिखने की सूचना देने को भी कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिया। योगेश ने कहा कि वह अभी रास्ते में हैं। घटना स्थल पर जाकर स्थिति क्लीयर करेंगे।
मुर्गी के पीछे आंगन तक पहुंचा 12 फीट लंबा अजगर
इधर, बांसवाड़ा के घाटोल कस्बे में करीब 12 फीट लंबा अजगर आबादी बस्ती के एक मकान में घुस आया। अजगर मुर्गी का पीछा करते हुए घर के आंगन में पहुंच गया। घर के मालिक ने अजगर होने की सूचना वागड़ बने वृंदावन ग्रुप के पर्यावरण प्रेमियों को दी। इस पर ग्रुप के सुरेश, बलविंदर राणा और नितेश ने अजगर को सुरक्षित पकड़ कर वन क्षेत्र में छोड़ा।
इनके सामने ऐसी तकलीफ
इधर, गांव के कल्याण डामोर की सूचना पर वागड़ बने वृंदावन के सदस्य एवं शिक्षक हरेश दवे मौके पर पहुंचे। मोबाइल की लाइट से अजगर को तलाशने की कोशिश की, लेकिन एक बार दिखने के बाद अजगर आंखों से ओझल हो गया। अब दवे का कहना है कि भारी भरकम अजगर को बाइक से जंगल तक पहुंचाना मुश्किल भरा होता है। इसके लिए चार पहिया वाहन की जरूरत होती है। वनविभाग को ऐसे रेस्क्यू में सहयोग करना चाहिए।
गुमराह करता है वनविभाग
बांसवाड़ा के DFO (डिस्ट्रीक्ट फोरेस्ट ऑफिसर) हरिकिशन सारस्वत ने बताया कि वाइल्ड लाइफ फोरेस्ट एक्ट 1972 के तहत अजगर शिड्युल 1 की C कैटेगरी में आता है। सरीसृप के तौर पर कोबरा सांप भी इसी श्रेणी में शामिल है। वनविभाग को इन जीवों की सुरक्षा के लिए अलग से बजट का प्रावधान है। सूचना पर हम ऐसे जीवों को रेस्क्यू कर जंगल में छुड़वाते हैं। दूसरी ओर डूंगरपुर DFO सुपोंग शशि को इस बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने टीम भेजकर रेस्क्यू कराने की बात कही। लेकिन, तब तक ग्रामीणों ने अजगर को मार दिया।
शाम 6 बजे अजगर बरामद
इधर, वनविभाग के सागवाड़ा रेंजर सोमेश्वर त्रिवेदी, गार्ड योगेश पुरोहित एवं टीम ने शाम 6 बजे अजगर का शव वासेला के जंगली इलाकों में झाड़ियों से बरामद किया। इससे पहले शाम 4 बजे पहाड़ी के पीछे से बकरी का शव बरामद किया। बकरी मालिक अशोक मईड़ा ने पहले वनविभाग को गुमराह किया। बाद में सख्ती के बाद खड़गदा निवासी आरोपी बापू ननोमा की ओर से अजगर को काटने की बात स्वीकार की। विभाग की ओर से अजगर का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। वहीं आरोपी तलाश जारी है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.