CM अशोक गहलोत को इस्तीफा भेजने वाले डूंगरपुर MLA गणेश घोघरा को लेकर सरकार के मंत्रियों की एक जैसी राय सामने आई है। मंत्री महेंद्रजीतसिंह मालवीया के बाद राज्यमंत्री बामनिया ने भी MLA घोघरा को भावुक बताया है। बामनिया ने कहा कि घोघरा भावुक व्यक्ति हैं। गरम खून भी हैं। लेकिन, विवादित मुद्दा परिवार का विषय है, जिसे आने वाले समय में समझाबुझाकर निपटा दिया जाएगा, जहां तक डूंगरपुर जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया की बात है तो वह खोड़निया को बीते 20 साल से जानते हैं। ये जानते हुए कि TSP क्षेत्र में सरपंच से लेकर विधायक और सांसद तक सभी सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। बावजूद इसके खोड़निया 24 घंटे पार्टी को समर्पित हैं। खोड़निया ने छोटे-मोटे मामलों में विवाद खत्म ही किया होगा। कभी पार्टी को लड़ाने का काम नहीं किया। वह हर हाल में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं। दोनों नेताओं के बीच आपसी मतभेद हो सकता है, लेकिन दोनों ही नेता पार्टी को समर्पित हैं। बामनिया ने भी कहा कि राज्यसभा केंडिडेट का चयन पार्टी आलाकमान करता है। मेहनत के हिसाब से खोड़निया राज्यसभा के लिए टिकिट मांग सकते हैं, लेकिन चयन तो बड़े नेता ही करेंगे।
उम्र के हिसाब से भावुकता और उत्तेजना
बामनिया ने कहा कि उम्र और अनुभव के हिसाब से आदमी में भावुकता और उग्रता आती है। घोघरा यूथ प्रदेशाध्यक्ष होने के साथ विधायक भी हैं। उनका राजनीतिक करियर लंबा है। समानता के भाव लेकर उन्हें आगे चलना चाहिए। घोघरा को अभी बहुत आगे जाना है।
CM से करते शिकायत
बामनिया ने कहा कि पट्टे देने में देरी करने वाले अधिकारी गलत हैं या सही। विषय यह नहीं है। व्यवस्था में हर अधिकारी के ऊपर अधिकारी है। एक से नहीं तो दूसरे जिम्मेदार अधिकारी से काम कराना चाहिए। अधिकारी वर्ग इगनोर करे तो वह सभी सत्ता में हैं। बात नहीं बनी तो CM तक मुद्दा पहुंचाना चाहिए था ताकि जनता का काम नहीं रुके। वैसे भी सीएम का जनजाति क्षेत्र बांसवाड़ा और डूंगरपुर पर पूरा आशीर्वाद है। यही कारण है कि कोविड के बाद सीएम यहां चार बार यात्राएं कर चुके हैं।
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