सरस्वती स्कूल उदाजी का गड़ा में भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक गिरधर स्वामी ने कहा कि भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी पर पांचवां अवतार वामन अवतार लिया। इसमें भगवान ब्राह्मण बालक के रुप में धरती पर आए। प्रहलाद के पौत्र राजा बली से तीन पद धरती मांगी। तीन कदमों में पूरी पृथ्वी को नाप लिया और राजा बली का घमंड तोड़ा।
राजा बली को कहा कि यह जीवन क्षण भंगुर है, इसका उपयोग परोपकार में करो। अहंकार, गर्व और घ्रणा से मुक्त होने पर ही ईश्वर की प्राप्ति होगी। कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव जी से किया। देवकी और वासुदेव को कंस रथ से छोड़ने जा रहे थे, तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वद करेगा। आपको सत्य की साधना करनी पड़ेगी। मां देवकी ने सत्य की साधना की। जिससे मां देवकी को बहुत से कष्ट मिले, इसके फलस्वरुप भगवान कृष्ण प्राप्त हुए।
श्री कृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि हुई है, तब-तब भगवान किसी न किसी रुप में अवतार लिया है। भगवान कृष्ण के जन्म का प्रसंग उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को सुनाया। भगवान श्री कृष्ण ने कैद में देवकी वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतों व भक्तों का मान बढ़ाया। राजा परीक्षित से शुकदेव कहते हैं कि संसार का कल्याण ही कृष्ण का एकमात्र लक्ष्य था।
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