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हाेमलाेन पर परिवादी से अधिक ब्याज वसूलने के एक प्रकरण में जिला उपभाेक्ता विवाद प्रतिताेष आयाेग ने संबंधित बैंक काे 93,662 रुपए अदा करने के आदेश दिया। इसके अलावा 25 हजार रुपए एक महीने के भीतर राज्य उपभाेक्ता कल्याण काेष में जमा कराने का भी अदेश दिया। परिवादी माही सराेवर नगर निवासी कुसुमकांत चंचावत ने आयाेग में परिवाद दर्ज कराया था। जिसमें बताया कि उन्हाेंने 26 फरवरी, 2003 में आईसीआईसीआई(एचएफसी) से 3 लाख का हाेम लाेन प्राप्त किया था।
इसी प्रकार सितंबर, 2005 में आईसीआईसीआई (एचएफसी) से 1,28472 रुपए हाेम लाेन प्राप्त किया। प्रार्थी द्वारा दाेनाें ऋणाें पर प्लाेटिंग ब्याज अर्थात घटती-बढ़ती दर के तहत अनुबंध किया। जिसके तहत बैंक काे आरबीआई की गाइड लाइन के तहत ब्याज वसूलना था लेकिन नियमाें के विपरीत अधिक ब्याज राशि वसूली गई।
इसके अलावा परिवादी द्वारा ऋण राशि समय-समय पर नगद बैंक खाते में जमा कराने के बावजूद विपक्षी की ओर से उनके और सहऋणि उनकी पत्नी से चेक अनादरण चार्जेस वसूला गया। सुनवाई के दाैरान ऐआयाेग के अध्यक्ष राजेशसिंह शेखावत, सदस्य कमलेश शर्मा और भावना मेहता ने माैजूदा साक्ष्याें के आधार पर परिवादी के परिवाद काे स्वीकार किया।
साथ ही विपक्षी पक्ष काे बाउंस चार्जेज और अधिक वसूल की गई ब्याज राशि 68,662 रुपए परिवाद पेश करने की तिथि से भुगतान हाेने की अवधि तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर अदा करने के आदेश दिए। साथ ही 27 दिसंबर, 2017 के पश्चात परिवादी द्वारा ऋण पेटे जमाशुदा प्रीमियम राशि परिवादी काे लाैटाने, परिवादी व्यय 5 हजार रुपए, मानसिक क्षतिपूर्ति 20 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए। साथ ही 25 हजार रुपए राज्य उपभाेक्ता कल्याण काेष में जरिये (डिमांड ड्राफ्ट) जमा कराने के भी अादेश दिए। आदेश की पालना एक महीने के भीतर सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
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