शहर के बीचोंबीच स्थित श्यामपुरा जंगल में अब साइकिल ट्रैक बनेगा। साइकिलिंग के अलावा शहरवासी इस ट्रैक का उपयोग मॉर्निंग और इवनिंग वॉक कर सकेंगे। वहीं वनविभाग की ओर से पर्यटन स्थल चाचा कोटा में नई वन चौकी स्थापित की जाएगी। प्रस्तावित ट्रैक को गति देने के लिए जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह, नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी, वन मंडल अधिकारी (DFO) हरिकिशन सारस्वत, रेंजर कपिल चौधरी ने मंगलवार दोपहर बाद श्यामपुरा वन क्षेत्र का दौरा किया। फिलहाल जिला कलेक्टर की ओर से इस ट्रैक बनाने के लिए खास मद से 25 लाख रुपए दिए गए हैं। वन चौकी और ट्रैक के माध्यम से वन विभाग लोगों को जंगल बचाने के लिए प्रेरित करेगा।
शहर के लिए ऑक्सीजन केंद्र
श्यामपुरा वन शहर के बीचोंबीच है। यह जंगल ऐसा है, जिसके चारों ओर आबादी इलाके हैं। वर्तमान में यह जंगल 71 हैक्टेयर में बना हुआ है, जबकि यहां प्रति हैक्टेयर करीब एक हजार छोटे-बड़े पौधे और पेड़ हैं। यानी पूरे जंगल में करीब 71 हजार पेड़ हैं। इसमें भी सागवान वृक्षों की अधिकता है। गर्मी के दिनों में जंगल श्ुष्क वन का रूप ले लेता है। दूसरी ओर शहर ही सीमाओं पर आनंद सागर और सिंगपुरा जंगल भी है, लेकिन ये इलाका शहर से बाहर है।
वनविभाग उठाएगा ये कदम
वर्तमान में श्यामपुरा जंगल का मुख्य प्रवेश द्वार उदयपुर रोड पर FCI गोदाम की ओर है। गोदाम होने के कारण शहरवासियों के लिए यह रोड सुविधाजनक नहीं होगा। इसलिए वन विभाग इस जंगल को उदयपुर-जयपुर बायपास पर हाउसिंग बोर्ड और न्यू हाउसिंग बोर्ड वाले रास्ते से खोल सकता है। इसके अलावा वर्तमान में मुख्य द्वार से जंगल के वॉच टॉवर तक करीब 3.3 किलोमीटर लंबा ट्रेक बनेगा, जिसमें मोहरम का प्रयोग कर रोलर से मोहरम को कॉम्पेक्ट किया जाएगा। वहीं ड्रेनेज वाले पहाड़ी हिस्सों से आने वाले बरसाती पानी को निकालने के लिए अंडर ग्राउंड नालियां बनाई जाएंगी।
शुल्क भी संभव/ दिख सकेंगे हिरण
वनविभाग अभी तो जंगल को डवलप करने की सोच लेकर चल रहा है। फिलहाल जंगल की देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम वन सुरक्षा समिति की रहेगी, लेकिन रखरखाव के साथ लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए विभाग भविष्य में यहां निर्धारित शुल्क तय कर सकता है। ताकि लोगों को सुविधाएं देने के साथ यहां काम करने वाले चौकीदारों और बेलदारों को मासिक वेतन भी दिया जा सके। विभाग की मानें तो भविष्य में वन क्षेत्र के चारों ओर 8 फीट तक लंबी दीवार उठाकर यहां चीतल, सांभर और हिरण भी छोड़े जा सकते हैं।
राजस्थान में चार जगह ऐसे ट्रैक
वनविभाग के अनुसार राजस्थान में ऐसे ट्रैक मूल तौर पर सीकर, चुरू, जयपुर और उदयपुर में बने हुए हैं। बांसवाड़ा का यह ट्रैक इस कड़ी में पांचवें स्थान पर होगा। बात अगर, सफारी ट्रैक की करें तो बांसवाड़ा में ऐसा कोई ट्रैक नहीं है। प्रदेश में सरस्किा, उदयपुर के सज्जनगढ़, सवाई माधौपुर के रणथंभोर, माउंट आबू, घना बर्ड सेंचुरी, चुरू के ताल छापर, कुंभलगढ़ (राजसमंद), जयपुर के झालाना और नाहरगढ़ में सफारी के ट्रैक हैं।
मिले हैं 25 लाख
वनविभाग के DFO सारस्वत ने कहा कि अभी तो ट्रैक बनाने के लिए कलेक्टर ने 25 लाख रुपए दिए हैं। विभाग की योजना लंबी है। सब कुछ सोचा हुआ होता गया तो इस जंगल का डवलपमेंट बहुत अच्छे से होगा।
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