राजस्थान में सरकारी एंबुलेंस सेवा हमेशा ही लेट-लतीफी और खराब उपकरणों के चलते निशाने पर रही है। अब इस सर्विस ने एक मरीज की जान तक ले ली है। मरीज के परिजन बीच सड़क पर चीखते-पुकारते रहे, लेकिन 40 मिनट तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
मरीज की बिगड़ती हालत के चलते बेटी-दामाद ने एंबुलेंस को एक किलोमीटर तक धक्का भी मारा, लेकिन कोई कोशिश सफल नहीं हुई। हॉस्पिटल पहुंचने पर मरीज को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
मामला बांसवाड़ा दानापुर का है। जानकारी के अनुसार सूरजपुरा (सेमलिया) जिला प्रतापगढ़ निवासी तेजिया गणावा (40) बेटी के ससुराल भानुपरा (बांसवाड़ा) आए थे।
यहां करीब तीन दिन तक वह बेटी और नाती के साथ रहे। गुरुवार को अचानक तेजपाल खेत में खड़े-खड़े गिर गए। पिता की खराब तबीयत की जानकारी बेटी ने पति मुकेश मईड़ा को दी।
मुकेश बांसवाड़ा में किराए का कमरा लेकर REET की तैयारी कर रहा है। उसने सबसे पहले एंबुलेंस 108 को फोन किया।
खुद भी बाइक लेकर उसके घर के लिए रवाना हुआ। सुबह 11 बजे हुई घटना की सूचना पर मुकेश 12 बजे उसके गांव पहुंच गया, लेकिन एंबुलेंस सवा घंटे बाद पहुंची।
मरीज को लेकर एंबुलेंस पहले घोड़ी तेजपुर PHC पहुंची। वहां ECG मशीन नहीं होने का हवाला देकर स्टाफ ने पेशेंट को छोटी सरवन CHC भेजा, लेकिन परिवार ने मरीज को सीधे जिला अस्पताल ले जाने का फैसला लिया।
रतलाम रोड पर टोल के आगे डीजल खत्म
एंबुलेंस मरीज को लेकर रतलाम रोड पर टोल के आगे पहुंची और धक्के लेकर बंद हो गई। पता चला डीजल खत्म हो गया है। एंबुलेंस के पायलेट ने पांच सौ रुपए देकर पेशेंट के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा। डीजल लेकर आने में समय लगा। परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे, लेकिन एंबुलेंस चालू नहीं हुई।
एंबुलेंस को चालू करने के लिए परिवार ने करीब एक KM तक धक्का भी मारा। थक हारकर परिवार ने एंबुलेंस के ड्राइवर के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एंबुलेंस मंगाने को कहा। इसके बाद परिवार के कहने पर एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को फोन कर दूसरी एंबुलेंस बुलाई।
तब कहीं 40 मिनट के अंतराल में दूसरी एंबुलेंस मौके पर पहुंची। इसके बाद जो हुआ उसकी परिवार को कल्पना भी नहीं की थी। बांसवाड़ा के जिला अस्पताल में डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित किया, जबकि दूसरी एंबुलेंस के पहुंचने तक उसकी सांसें चल रही थीं। मामला दो दिन पुराना है, लेकिन इसके वीडियो अब सामने आए हैं।
35 KM के लिए 4 घंटे
पीड़ित मुकेश ने बताया कि उसके ससुर की तबीयत करीब 11 बजे बिगड़ी थी। एंबुलेंस सवा 12 बजे आई थी। इसके बाद करीब 3 बजे यानी चार घंटे बाद पेशेंट जिला अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टर देखते ही मरीज को मृत घोषित किया। मुकेश का कहना है कि दूसरी एंबुलेंस आने तक उसके ससुर की धड़कन बनी हुई थी। समय पर इलाज मिल जाता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता।
इमरजेंसी सेवा में लापरवाही क्यों
मामले में CMHO डॉ. एच.एल. ताबीयार ने कहा कि 108 एंबुलेंस इमरजेंसी सेवा में शामिल है। इसके बावजूद लापरवाही हुई है। उन्होंने कहा कि फिलहाल ये मामला मेरे सामने नहीं आया है। अगर, ऐसा कुछ हुआ है तो काम कर रही ठेका एजेंसी को नोटिस देकर जवाब तलब करेंगे। आज लापरवाही से किसी की मौत हुई है। कल किसी ओर की होगी। ये विषय माफी योग्य नहीं है।
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