राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने काेराेना काल में डांगपाड़ा के निकट पंक्चर की दुकान चलाने वाले दिव्यांग के साथ बेरहमी से मारपीट के आराेपी सदर पुलिस थाने के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक रतनसिंह काे प्रथम दृष्ट्या दाेषी मानते हुए बीस हजार रुपए के जुर्माने से दंडित करने की अनुशंसा पुलिस महानिदेशक माेहनलाल लाठर से की है।
साेमवार काे उदयपुर सर्किट हाउस में आयाेजित कैंप काेर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई के दाैरान जस्टिस व्यास ने यह निर्णय सुनाया। जस्टिस व्यास ने अपनी अनुशंसा में आराेपी पुलिस निरीक्षक के खिलाफ नियमानुसार विभागीय कार्रवाई करने व उसके वेतन से बीस हजार रुपए की कटाैती कर पीड़ित दिव्यांग काे दिलाने की बात कही है।
ये लोकतंत्र के लिए सही नहीं, किसी की आजीविका संकट में नहीं डाल सकते: जस्टिस व्यास
इस प्रकरण का निस्तारण करते हुए जस्टिस गाेपालकृष्ण व्यास ने कहा कि इस तरह की हरकत कर किसी भी व्यक्ति की आजीविका काे संकट में नहीं डाल सकते। लाेकतंत्र के लिए यह सही नहीं है। प्रकरण सामने आने के बाद एसपी ने आराेपी पुलिस निरीक्षक काे लाइन हाजिर कर दिया था। इससे प्रथम दृष्ट्या दाेष सिद्ध हाेता है। आयाेग के अध्यक्ष जस्टिस व्यास ने कहा कि घटना के अगले ही दिन उन्हें मीडिया के जरिए इस मामले की जानकारी हुई। उन्हाेंने तत्काल एसपी से फाेन पर बात की थी।
सस्पेंड करने के बाद दोबारा उसी थाने में लगा दिया था
मानवाधिकार आयाेग अध्यक्ष से हुई बातचीत के बाद एसपी ने इस मामले के आराेपी सदर थाने के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक रतनसिंह काे लाइन हाजिर करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन यह कागजी आदेश ही थे। सीआई रतनसिंह काे थाने से हटाया नहीं गया था। एसपी ने अगले आदेश में उन्हें पुलिस लाइन से पुन: सदर थाने में अटैच कर दिया था। इस तरह वे सदर थानाधिकारी के रूप में कार्य करते रहे। दाे माह पूर्व जिले में किए गए थानाधिकारियाें के तबादलाें में एसपी ने उन्हें सदर से हटा कर काेतवाली थाना प्रभारी पद पर नियुक्त किया था।
यह था मामला : कमलेश बैरागी ने राज्य मानवाधिकार अायाेग के समक्ष परिवाद पेश किया था। जिसमें कहा था कि 30 अप्रैल 2021 को वह अपनी दुकान पर पंचर निकाल रहा था। इसी दाैरान पुलिस की गाड़ी आई और बिना किसी वजह के उसके साथ लाठियाें से मारपीट की। एक पुलिस वाले के कंधे पर तीन स्टार लगे हुए थे।
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