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वागड़ प्रयाग महाकुंभ बेणेश्वर धाम पर लगने वाले दस दिवसीय धार्मिक मेले का शुभारंभ मंगलवार काे सप्तरंगी ध्वजा के साथ हुआ। धाम के पीठाधीश्वर महंत अच्युतानंदजी महाराज ने साबला हरि मंदिर से पूजा-अर्चना करके बेणेश्वर धाम पहुंचे। इस बार काेराेना संक्रमण हाेने के कारण सारे आयाेजन काे छाेटा और प्रशासनिक निर्देश के आधार पर हुए।
माघ शुक्ल एकादशी के तहत अच्युतानंदजी महाराज के सानिध्य में पं. हिमांशु पंड्या एवं हरिओम रावल के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सप्तरंगी ध्वजा की पूजा की। धाम पर स्थित राधाकृष्ण मंदिर के शिखर पर संत मावजी महाराज की जयकारों के साथ स्थापना की। सप्तरंगी ध्वजा के माध्यम से पांच किमी तक मेले के शुभारंभ का संकेत दिया।
सप्तरंगी ध्वजा सप्त ऋषि मंडल के प्रतीक हाेते हैं। इसके साथ ही सर्व समाज काे एक साथ जाेड़ने के लिए रंगाें का चयन किया है। इस अवसर पर भक्त रामदास साद, नारायणदास साबला, सुरेश चन्द्र साद, गिरधारी साद, हरिदास, दशरथ साद ने मावजी महाराज की भविष्यवाणी एवं भजनों काे सुनाया। उन्हाेंने परम्परागत वाद्य यंत्र की धुन पर मावजी महाराज की ओर से भगवान कृष्ण की भक्ति और कलयुग में भक्ति मार्ग पर चलने के लाभ बताए।
उन्हाेंने आधुनिक युग में मावजी महाराज द्वारा लिखे गए चाैपडे़ के श्लाेक सुनाए। बेणेश्वर धाम पर माघ पूर्णिमा 27 फरवरी काे मुख्य मेला आयाेजित हाेगा। इससे पूर्व एकादशी से राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित कई राज्याें से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हाे गया हैं। जिसके तहत एकदशी में लाेगाें ने अपने पूर्वजाें की अस्थियाें का विर्सजन त्रिवेणी संगम पर किया।
आबुदरा घाट के पास श्रद्धालुओँ ने डुबकी लगाकर पितृ काे तर्पण दिया। इसके बाद पूजा-पाठ करके फिर डुबकी लगाकर माेक्ष की कामना की। फिर लड्डू, बांटी और दाल का प्रसाद खाकर परिजन के साथ वापस अपने घर काे लाैट गए। इस बार प्रशासनिक दबाव के कारण दुकानें बंद हैं। फिर भी कई लाेग फैरी लगाकर काम चला रहे थे।
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