राष्ट्र सेविका समिति के शक्ति संचय कार्यक्रम में रविवार को वर्तमान में बढ़ रहे लवजिहाद के मुद्दे के साथ धर्मांतरण को लेकर गंभीरता से मंथन हुआ। महिला सशक्तिकरण की इस कार्यशाला में सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग से प्रभावित नई पीढ़ी और कम उम्र की बालिकाओं को आवश्यक संस्कार देने की भी यहां चर्चाएं हुईं। हरिदेव जोशी रंगमंच में हुए कार्यक्रम के दौरान अखिल भारतीय प्रमुख संचालिका शांता अक्का ने विभाग के बांसवाड़ा, डूंगरपुर व सागवाड़ा से आई 540 सेविकाओं को एक मंच से संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि देश में लवजिहाद जैसी बुराई से बच्चियों और नई पीढ़ी का भविष्य खराब हो रहा है। ये एक बड़ी चुनौती है, जिसका मजबूती से सामना करना होगा। धर्मांतरण के माया जाल में उलझने के बजाए बच्चियों को उनके पैतृक धर्म से ही परिवार को संंस्कार देने होंगे। उन्होंने कहा कि मातृ शक्ति को चाहिए कि वह गर्भ में पलने वाले अभिमन्यु की तरह नई पीढ़ी को संस्कार दें। संस्कारवान महिला उसके परिवार को संस्कारित बना सकती है। इसलिए सभी को धर्म के अनुरूप बताए गए संस्कारों को समझकर भ्रमित होने वाली पीढ़ी को उस ओर लाना होगा।
1936 से सक्रिय है संस्था
वर्ष 1936 से सक्रिय संस्था की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तर पर मजबूत करने की पहल हुई। बतौर अतिथि शिक्षाविद् रेखा रोत और डॉ. रागिनी शाह ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की स्थानीय जिम्मेदारी निशा जोशी ने निभाई। वहीं चित्तौड़गढ़ प्रांत से वंदना वजीरानी ने उपस्थिति दर्ज कराई। यहां मातृ शक्ति स्वअनुशासन, संरक्षण एवं सशक्तिकरण को लेकर भी गंभीरता दिखाई गई।
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