दुकान में चोरी के मामले में पुलिस ने ठीक 3 महीने 15 दिन बाद FIR दर्ज की है। इसके लिए दुकानदार को न जाने कितनी बार पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत करनी पड़ी और कितनी ही बार थाने के चक्कर काटने पड़े। दुकानदार की सूचना पर पुलिस ने मौका मुआयना भी किया था, लेकिन FIR काटने के मामले में पुलिस ने पूरे साढ़े तीन महीने निकाल दिए। इसमें भी दुकानदार को अब तक FIR की कॉपी भी नहीं दी गई है। खास ये भी है कि दुकानदार चोरी का नुकसान 25 हजार बता रहा है, जबकि पुलिस चोरी गए सामान की कीमत 5 हजार रुपए बता रही है। मामला बांसवाड़ा के राज तालाब थाने का है।
दरअसल, बाहुबली कॉलोनी निवासी मनीष कुमार सुरेखा की गर्ल्स कॉलेज रोड पर सुरेखा इंटरप्राइजेज के नाम से दुकान है। सुरेखा 12 अगस्त की शाम करीब साढ़े 7 बजे दुकान बंद कर गए थे। इसके बाद 15 अगस्त को दुकान खोलते समय उन्हें चोरी का पता चला। शटर पर लगा हुआ ताला भी गायब था। दुकान खोलने पर सामान भी बिखरा मिला। जांच पर पता चला कि दुकान से सोलेशन के 16 डिब्बे (100, 200 और 500 ग्राम के), 6 नग तिरपाल, 5 नग ताले, विमल और तानसेन जैसे गुटखे के 16 पैकेट, ऑइल पेंट और डिस्टम्बर के 6 डिब्बे, परचूनी का सामान और अन्य चीजें गायब थी। दुकानदार ने 13 से 15 अगस्त की रात को चोरी की आशंका जताते हुए 17 अगस्त 2022 को चोरी की सूचना राजतालाब थाने को दी थी। अब इसकी जांच ASI रघुवीर सिंह को सौंपी गई है।
जयपुर तक शिकायत की
इधर, दुकानदार मनीष सुरेखा ने बताया कि वह चोरी की एफआईआर के लिए खूब परेशान हुए। सूचना और मौका मुआयना के बावजूद पुलिस ने प्राथमिक रिपोर्ट नहीं काटी। इसके लिए दुकानदार को जयपुर तक शिकायत करनी पड़ी। बांसवाड़ा SP के पास भी शिकायत की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब तक उन्हें एफआईआर की कॉपी भी उपलब्ध नहीं हुई है।
बांसवाड़ा में जांच में रखने का चलन
बांसवाड़ा में पुलिस ने ट्रेंड बना रखा है। हर शिकायत भले ही वह चोरी की हो या किसी गंभीर अपराध की। पुलिस मामले में जांच के नाम पर रख लेती है। यहां पुलिस मर्जी या किसी राजनीतिक दबाव मुताबिक एफआईआर काटती है। पुलिस की इस जांच का सर्वाधिक शिकार वाहन चोरी वाले मोटर मालिक होते हैं, जिन्हें इन्श्योरेंस के लिए थानों के कई चक्कर काटने पड़ते हैं। अधिकांश थानों में इसी परिपाठी पर काम होता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश, FIR अनिवार्य
इधर, वरिष्ठ एडवोकेट भगवत पुरी ने बताया कि FIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। इसमें 154 CRPC के तहत कोई व्यक्ति अगर परिवाद लेकर आता है। वह अपराध अगर संज्ञान योग्य है। अपराध होना प्रकट होता है तो पुलिस को FIR काटनी चाहिए। बावजूद इसके पुलिस FIR नहीं काटती है तो रजिस्टर्ड डाक से 154 (3) में शिकायत SP को दी जानी चाहिए। इस नियम के तहत SP प्राथिमिकी दर्ज कराने के लिए बाध्य हैं। अंत में कोर्ट की मदद लेकर 156 (3) में पीड़ित को थाने में FIR के आदेश होते हैं।
अभी मीटिंग में, बात करता हूं
मामले में राजतालाब थानाधिकारी रामरूप मीणा ने बताया कि वह अभी SP ऑफिस में मीटिंग में हैं। इस बारे में कुछ देर बाद बात कर पाएंगे।
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