सांप के डसने से दो साल के एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि 12 साल की बच्ची को महात्मा गांधी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दोनों मामले अलग-अलग इलाकों के हैं, जहां जरा सी लापरवाही के बाद सांप ने दोनों बच्चों को डस लिया। बच्चे की करीब दो घंटे बाद मौत हो गई, जबकि बच्ची अभी अस्पताल में जिंदगी से जूझ रही है। मामला धरियावद (प्रतापगढ़) व घाटोल (बांसवाड़ा) का है।
परिवार के मुताबिक मांडवी (धरियावद) निवासी एकलव्य (2) पुत्र रामलाल घर के आंगन में खेल रहा था। तभी आंगन में कहीं से सांप आ गया। हलचल देख बालक भी सांप के पास पहुंच गया। इसके बाद सांप ने उसे डस लिया। दर्द से बालक के चिल्लाने के बाद परिवार वहां पहुंचा तो उन्हें सांप जाता हुआ दिखा। परिवार ने बालक को संभाला और बिना देर लगाए बांसवाड़ा के जिला अस्पताल लेकर आए। यहां डॉक्टर ने बच्चे को बचाने के पूरे प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। परिवार ने बच्चे का पोस्टमार्टम नहीं कराया और सीधे घर ले गया।
बहन बच गई, बड़ी को सांप ने डसा
इसी प्रकार सुबह के समय ही मकनपुरा (घाटोल) निवासी पूजा (12) पुत्री मनोज भगोरा घर के आंगन में उसकी बहन को लेने के उसके पास गई। उसने बहन को उठाया। तभी हलचल के बीच वहां मौजूद सांप ने पूजा को डस लिया। उसे गंभीर हालत में परिवार यहां लेकर पहुंचा। डॉक्टर ने पूजा को भर्ती किया। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। हालांकि बच्ची को घर से यहां तक लाने में परिवार को डेढ़ घंटे का समय लगा।
मानसून के साथ सक्रिय हुए सांप
गर्मी के बाद मानसून के आते ही पहाड़ी इलाकों और वहां बसी बस्तियों में सांप भी सक्रिय हो गए हैं। मानसून की ज्यादा बरसात के बीच सांपों के बिलों में पानी भर जाता है। ऐसे में सांप बाहर निकल आते हैं। बरसात के साथ ही मानसून में सांपों को अनुकूल माहौल भी मिल जाता है। ग्रामीण इलाकों में लकड़ियों के ढेर, आंगन में खुले छेदों में सांपों की सक्रियता रहती है। हालांकि, बांसवाड़ा में कई तरह के सांप होते हैं, जिनमें जहरीले सांपों की श्रेणी में चार ही सांप हैं। इनमें खतरनाक सांपों की सूची में करैत, कोबरा, रसैल वाइपर जैसे सांप शामिल हैं। बहुतायत में साधारण सांपों जैसे रेट स्नेक, डेंडू, सुंदरी जैसे सांपों के काटने से खून आने के साथ दर्द होता है, लेकिन इनका डसा हुआ व्यक्ति मरता नहीं है।
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