ओटापाड़ा वाड़गुन में तीन दिन पहले बाल विवाह रुकवाने गई पुलिस पर हुए पथराव का मामला विवादों में है। भूंगड़ा थाने में पुलिस पर पथराव करने वाले करीब 20 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज है, जबकि बालविवाह को लेकर लड़के के परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नाबालिग लड़के के 65 वर्षीय रिश्तेदार का आरोप है कि वह तो केवल नोतरा कर रहे थे। ये नोतरा भी बाजार में शादी को लेकर खरीदे गए सामान का कर्ज उतारने के लिए था, लेकिन पुलिस ने बिना कोई कारण पूछे पिटाई शुरू कर दी। इतना मारा कि पूरा बदन लाल कर दिया।
उसने आरोप लगाया कि पथराव की कहानी पुलिस ने रची है। नोतरे (सामाजिक कार्यक्रम) में आई पुलिस ने आते ही गालीगलौज और पिटाई शुरू कर दी। पुलिस ने मौके से उसके साथ पांच जनों को उठाया और जमकर पीटा। कहानी बनाने के लिए पुलिस ने बीच रास्ते में गाड़ी रोकी और खुद पुलिस वालों से कांच पर पत्थर फिकवाया ताकि पीड़ितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। पुलिस पर आरोप लगा रहे बुजुर्ग रामेश्वर चरपोटा ने मामले में बांसवाड़ा SP को लिखित शिकायत की है। दूसरी ओर पुलिस को छानबीन के दौरान ऐसे कुछ प्रमाण मिले हैं, जो ये बताते हैं कि आरोपी परिवार बेटे की शादी के लिए डॉक्टर से उसकी आयु 22 साल लिखवाने गए थे।
ऐसे लगाए आरोप
रामेश्वर ने आरोप लगाए कि बीती 10 मई को एक हेड कांस्टेबल और तीन पुलिस कर्मी के साथ पटवारी कमल गर्ग उनके परिवार में भतीजे रमणलाल को नाबालिग बताकर भाई धुलिया के घर पाबंद करने आए थे। उन्होंने विवाह के लिए पाबंद किया, लेकिन नोतरा करने की अनुमति दी थी। इसके अगली रात को ASI एवं स्टाफ रात साढ़े 11 बजे शराब के नशे में नोतरा (सामाजिक) कार्यक्रम में आए। पुलिस ने आते ही लट्ठ चलाने शुरू किए। नोतरे में आए रुपए लूट लिए। बच्चों व महिलाओं को मारा। फिर उसके साथ हरीश चरपोटा, मंगला, सुनील व विजयपाल को गाड़ी में डाल दिया। आगे जाकर खुद के पुलिस जवानों से कांच फुड़वाया। पथराव की कहानी बनाई। थानेदार ने बुजुर्ग को बेहोश होने तक मारा। उसके घर में केवल नोतरा था। वह बच्चे की शादी नहीं कर रहे थे। पटवारी के भड़काने पर पुलिस ने ऐसा किया। बेकसूर परिवार के लोगों को हवालात में बंद किया हुआ है। आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
पुलिस के हाथ लगे सबूत
मामले में भूंगड़ा थाना पुलिस के हाथ भी कुछ सबूत लगे हैं, जो इशारा करते हैं कि पीड़ित परिवार ने नोतरा बच्चे की शादी के लिए रखा था। पुलिस को मेडिकल ज्यूरिस्ट का जारी वह प्रमाणपत्र मिला है, जिसमें परिवार ने उसे बालिग बताने की कोशिश की है। ये प्रमाण प्रत्र प्रशासनिक स्तर पर बाल विवाह पर लगाई गई पाबंदी के बाद का बताया जा रहा है।
आरोप पूरी तरह बेबुनियाद
इधर, मामले में भूंगड़ा थानाधिकारी हेमंत चौहान का कहना है कि प्रशासनिक निर्देश पर बाल विवाह रुकवाने गए थे। मौके पर नोतरा हो रहा था, जो शादी के लिए ही था। उनके पास इससे जुड़े कुछ प्रमाण भी हाथ लगे हैं। मारपीट और पथराव की झूठी कहानी वाले आरोप बेबुनियाद हैं।
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