वरदा गांव का पशु चिकित्सालय लंबे समय से बेहाल है। पशु चिकित्सक का पद लंबे समय से खाली पड़ा है। सिर्फ पशुधन सहायक ही यहां सेवाएं दे रहे हैं। इससे भी बड़ी परेशानी तो यह है कि पशु चिकित्सालय परिसर में चारों ओर मिट्टी के ढेर और झाडिय़ां उगी हुई है, इसके कारण ग्रामीण अपने पशुओं को अस्पताल के अंदर नहीं ला सकते हैं। सड़क पर खड़े होकर ही पशुओं का इलाज कराना पड़ता है।
चिकित्सालय से जुड़े वरदा, नाल, मनोर, किशनपुरा, फूलोर, सज्जनपुरा, सुरातलाई, झखडा, धाणी आदि गांवों के लोगों पशु चिकित्सालय में फैली अव्यवस्थाओं से परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इस अस्पताल से जुड़ गांवों में करीब एक हजार पशुधन संख्या है। हर रोज 10 से 12 ग्रामीणों का अपने पशुधन के साथ पहुंचना होता है। लेकिन अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते उनको काफी परेशान होना पड़ता है। अस्पताल परिसर में खुदाई के बाद छोड़े मिट्टी के ढेरों को समतल नहीं किया गया है। चहुंओर झाडिय़ां उग रही है। गाय, भैंस के बीजारोपण के लिए बनाया गया कटघरा भी उपयोग नहीं कर पाते हैं।
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