आशा सहयोगिनी कर्मचारी संघ ने जिलाध्यक्ष इन्द्रा कुमारी सुमन के नेतृत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने वेतन बढ़ोतरी की मांग की है।
ज्ञापन में महामंत्री ममता तलेटिया ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग और हेल्थ डिपार्मेंट के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत आशा सहयोगिनियों की 5 सूत्रीय मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर लाभ दिया जाए। जिलाध्यक्ष सुमन ने बताया कि जिला कलेक्टर को 5 सूत्रीय ज्ञापन दिया गया। जिसमें प्रमुख मांगे हैं कि आशा सहयोगिनियों का मासिक मानदेय शत प्रतिशत बढ़ाया जाए, आशा सहयोगिनियों को रिटायरमेंट सहायता पैकेज में शामिल कर लाभ दिया जाए। आशा सहयोगिनियों को सभी मदों में मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 3 गुना किया जाए, आशा सहयोगिनियों से सभी सर्वे कार्य ऑफलाइन ही करवाया जाए और प्रमुख शासन सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग के आदेश के तहत आशा सहयोगिनियों पर प्रशासनिक नियंत्रण हेल्थ डिपार्टमेंट को देने के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर महिला एवं बाल विकास विभाग को दिया जाए।
जिलाध्यक्ष सुमन और जिला महामंत्री तलेटिया ने बताया कि मानदेयकर्मी आशा सहयोगिनियों का वर्तमान मासिक मानदेय 3564 रुपए प्रतिमाह है। राजस्थान सरकार ने आम बजट में 15 प्रतिशत की मासिक मानदेय में वृद्धि की है, जो इस बढ़ती महंगाई के दौर में कम है। इस पद पर कार्यरत अधिकांश आशा सहयोगिनियां विधवा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विशेष पिछड़ा वर्ग, आर्थिक पिछड़ा वर्ग और बीपीएल श्रेणी की महिलाएं हैं। बारां जिले की शाहाबाद और किशनगंज तहसील में अधिकांश आशा सहयोगिनियां सहरिया समाज की महिलाएं कार्यरत हैं। आशा सहयोगिनियां इतने कम मानदेय में अपने बच्चों का भरण-पोषण नहीं कर पा रही हैं और ना ही अध्ययन के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं में भेज पा रही हैं। आशा सहयोगिनियों ने मुख्यमंत्री से नियमितीकरण करने और कम से कम न्यूनतम मासिक मानदेय 23 हजार 700 रुपए करने की मांग की। 5 सूत्रीय मांगों पर संशोधित बजट में पूरा नहीं किया तो कार्य बहिष्कार कर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
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