बारां जिले में इस साल 3 लाख 51 हजार हेक्टेयर में रबी की फसलों की बुवाई हुई है। जिले में रिकॉर्ड डेढ़ लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है। ऐसे में सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन रहने की उम्मीद है। जिले में गेहूं की बुवाई भी अंतिम दौर में है। मानसूनी सीजन के दौरान अच्छी बारिश से सिंचाई के लिए जलस्त्रोतों में पानी की अच्छी आवक हुई है, जिससे जिले में सरसों व गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। उधर, भाव कम होने के कारण लहसुन व चने के रकबे में गिरावट हुई है।
कृषि विभाग के उप निदेशक अतिश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग के लक्ष्य के अनुसार जिले में इस साल 3 लाख 51 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में रबी की फसलों की बुवाई हुई है। इसमें सर्वाधिक रकबा सरसों का रिकॉर्ड 1 लाख 50 हजार हेक्टेयर है। इसके अलावा 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर में गेहूं, 30 हजार हेक्टेयर में चना, 17 हजार हेक्टेयर में धनियां, 27 हजार हेक्टेयर में लहसुन आदि की बुवाई हुई है। उन्होंने बताया कि सरसों की बुवाई का दौर खत्म हो गया है, जबकि गेहूं की बुवाई का दौर जारी है।
मंडी व्यापारी विमल बंसल ने बताया कि कोरोना काल के बाद से सरसों और गेहूं के भावों में तेजी आई है। इस साल बारां मंडी में सरसों का अधिकतम भाव करीब 7 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया, वहीं गेहूं के भाव भी 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक मिले थे। इससे पहले सरसों 3 से 4 हजार रुपए और गेहूं के भाव 1500 से 2000 रुपए क्विंटल तक ही रहते थे। इधर लहसुन के भाव महज 1200 से 2600 रुपए प्रति क्विंटल मिलने से किसानों को फसल की लागत तक नहीं मिल पाई थी।
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