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शहर के बिगड़े सिस्टम की कीमत इसी दिन एक और बुजुर्ग को जान गंवाकर चुकानी पड़ी। रविवार सुबह नो-एंट्री में घुसे टैंकर की टक्कर में हुई बुजुर्ग महिला की मौत का मामला ठंडा ही नहीं हुआ था, कि देर शाम को बाजार में घूम रहे बेसहारा सांड के हमले में अधेड़ की मौत हो गई। शहर में बिगड़े सिस्टम से लोगों में आक्रोश है।
मौत के बाद परिजनों व समाज के लाेगों के साथ शहरवासियों ने एसडीएम परिसर में शव रखकर विरोध जताया। करीब 20 मिनट के बाद सभापति व प्रशासन से मिले आश्वासन के बाद शव उठाने पर सहमति बनी। इसके बाद मोक्ष वाहन से शव को श्मशानघाट ले जाया गया। प्रशासनिक लापरवाही के चलते शहर में लगातार हुई दूसरी मौत के बाद हर कोई जिम्मेदारों को कोसता नजर आया। इसके बाद भी मजाल है कि प्रशासन, नगर परिषद व पुलिस के किसी अधिकारी ने व्यवस्था सुधार में कोई दिलचस्पी दिखाई हो।
निंबड़ी बास निवासी नरसिंगदास ( 60) पुत्र रेवाचंद रविवार शाम करीब 6.30 बजे अपने घर से चाय पीकर बाहर निकला। वह बाजार की तरफ जा रहा था, इतने में आपस में भिड़ रहे सांड पीछे से भागते हुए आए और एक सांड ने उसकी कमर के नीचे सींग मार दिया, जो शरीर के आर-पार हो गया। गंभीर चोट लगने पर वह लहुलुहान होकर बेसुध हालत में नीचे गिर गया। इस पर पास की दुकानों से भागकर आए दुकानदारों ने उन्हें तुरंत राजकीय नाहटा अस्पताल पहुंचाया। जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। रात हो जाने के कारण उनकी अंत्येष्टि नहीं हो पाई।
सोमवार सुबह सुबह करीब 11.30 बजे परिजन व सिंधी समाज के लोग शव लेकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे। जहां शव को रखकर शहर के बिगड़े हालातों में सुधार की मांग की। करीब 20 मिनट तक एसडीएम कार्यालय में शव रखकर विरोध जताया। इसके बाद सभापति सुमित्रा जैन के मौके पर पहुंचने व प्रशासनिक आश्वासन मिलने के बाद परिजन शव उठाने पर राजी हुए। एसडीएम नरेश सोनी ने बताया कि शहर में बेसहारा पशुओं की धरपकड़, भारी वाहन सहित व्यवस्था सुधार को लेकर आयुक्त को निर्देश जारी कर दिए हैं। सात दिन के अंदर व्यवस्था में सुधार नहीं होता है आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नगर परिषद की लापरवाही से बिगड़ रही व्यवस्था
गत एक साल से शहर में नगर परिषद की लापरवाही के चलते व्यवस्था बिगड़ी हुई है। हर गली-मौहल्ले में बेसहारा सांड घूम रहे हैं। सड़कें टूटी-फूटी हालत में है। नो-एंट्री जोन में बेरिकेट लगाने के अलावा वन-वे या यातायात डायवर्ट की व्यवस्था नहीं है। बाजार में पार्किंग व्यवस्था, अतिक्रमण सभी जगहों पर परिषद प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है।
अव्यवस्थाओं से पीड़ित लोग सभापति, आयुक्त, एसडीएम कार्यालय के हर रोज चक्कर काटते हैं, लेकिन अधिकारी आज-कल में व्यवस्था सुधार का आश्वासन देकर वापस लौटा देते हैं। नतीजतन लोगों को हादसे में जान गंवाकर तो हाथ-पैर तुड़वाकर बेड रेस्ट होना पड़ रहा है। प्रशासन व नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी कार्यालय छोड़कर बाहर ही नहीं निकल रहे हैं, ऐसे में व्यवस्था सुधार की उम्मीद करना बेमानी है।
इच्छाशक्ति की कमी सुविधाओं के बावजूद बिगड़ रही व्यवस्था
ऐसा भी नहीं है कि नगर परिषद के पास बेसहारा पशुओं को रखने के लिए जगह नहीं है। बाकायदा जेरला रोड़ पर गोशाला व कांजी हाऊस का संचालन हो रहा है। वहीं पशुओं को पकड़ने के लिए टेंडर भी जारी हो चुका है। इसकी मॉनिटरिंग के लिए नगर परिषद में कार्मिक भी नियुक्त हैं, लेकिन इन कार्मिकों के साथ ही सभापति व आयुक्त में इच्छाशक्ति के अभाव के चलते लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद भी व्यवस्था बिगड़ी हुई है।
^बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए पहले टेंडर जारी किया था, लेकिन संबंधित फर्म ने कम दर में टेंडर भरा था इसलिए काम शुरु नहीं किया। वहीं आज से ही बेसहारा पशुओं को पकड़ने का कार्य शुरु कर दिया गया है। गोशाला संचालन को लेकर नगर परिषद के पास इतना बजट नहीं है। भामाशाहों से भी अपील की जा रही है कि वे इस कार्य में आगे आएं
- सुमित्रा जैन, सभापति नगर परिषद बालोतरा
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