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विनयशीलता व कृतज्ञता से जीवन श्रेष्ठ बनता है। मर्यादा जीवन का श्रृंगार है जो विकास का आधार है। विशुद्ध आचरण से ही ज्ञान की शोभा होती है। मुनि धर्मेशकुमार ने पुराना ओसवाल भवन में आयोजित 157 वां मर्यादा महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि आचार्य भिक्षु के पवित्र कर कमलों से लिखा हुआ मर्यादा पत्र तेरापंथ धर्म संघ का छत्र है।
जो साधु विनीत होते हैं उसके गुणगान आचार्य श्री स्वयं करते हैं। मुनि यशवंत कुमार ने कहा कि मर्यादा में चलने वाला साधक अपनी आत्मा को निर्मल व उज्जवल बनाता है। साध्वी अर्हतप्रभा ने कहा कि मर्यादा संयम की सुरक्षा है। मर्यादा ही संघ को फलवान बनाती है। मुनि सुपार्श्व कुमार, साध्वी संवरयशा, वरिष्ठ श्रावक शंकरलाल ढेलड़िया, निवर्तमान अध्यक्ष डूंगरचंद सालेचा, गणपत भंसाली सूरत, सुरेश डोसी, ललित सालेचा, पुष्पादेवी बुरड़ सहित प्रबुद्ध वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।
पॉजिटिव- आप प्रत्येक कार्य को उचित तथा सुचारु रूप से करने में सक्षम रहेंगे। सिर्फ कोई भी कार्य करने से पहले उसकी रूपरेखा अवश्य बना लें। आपके इन गुणों की वजह से आज आपको कोई विशेष उपलब्धि भी हासिल होगी।...
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