बाड़मेर जिले के इंद्रोई ग्राम पंचायत निवासी एक सरकारी शिक्षक 23 साल से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में जुटे हुए है। शिक्षक भैराराम भाखर छुट्टी के दिन अपने घर नहीं बैठते हैं, वो अपनी बाइक पर पौधे लादकर गांव-गांव पहुंचते है और ग्रामीणों को पर्यावरण संकट, इससे नुकसान व बचाव के लिए प्रेरित करते है और निशुल्क पौधे बांटते है। 1999 में विद्यार्थी जीवन के दौरान ही उन्होंने यह मुहिम शुरू की थी, पहली बार उन्होंने जिला मुख्यालय स्थित सफेद आकड़ा महादेव मंदिर में 50 पौधे लगाकर अभियान शुरू किया।
इसके बाद उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग सहित इससे संबंधित होेने वाले नुकसान के बारे में भी अध्ययन किया और इससे बचने के लिए पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण की मुहिम जारी रखी। 23 सालों से शिक्षक भैराराम भाखर स्वयं छुट्टी के दिन नर्सरी से पौधे खरीदकर लाते है और लोगों के साथ खड़े रहकर पौधे रोपित करवाते और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी के लिए संबंधित लोगों से शपथ पत्र भरवाते है ताकि उन पौधे की उचित देखभाल हो सके। अब तक उन्होंने 2.71 लाख पौधे अपने हाथों से रोपे हैं, जिनमें अधिकांश पेड़ बन गए है। वह हमेशा अपनी बाइक के पीछे पौधों से भरा हुआ कैरेट रखते है।
इस वजह से ग्रामीण व शिक्षक उन्हें पौधों वाले माड़सा के नाम से पुकारते हैं। हाल ही में उन्होंने पर्यावरण चेतना यात्रा के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों की 22 हजार किलोमीटर यात्रा कर लोगों को पौधरोपण के प्रति जागरुक किया और पौधे लगाए।
सरकारी स्कूल के शिक्षक की पहल, स्कूल की छुट्टी के बाद घर-घर जाकर फ्री में पौधे बांटकर ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रहे जागरूक
689 पंचायतों और स्कूलों में लगाए औषधीय पौधे व बीज बांटे
शिक्षक भाखर ने शीतकालीन अवकाश सहित अन्य राजकीय अवकाश के दौरान बॉर्डर क्षेत्र के गांवों सहित 689 ग्राम पंचायतों व स्कूलों में पहुंचकर नीम, गिलोय, सहजन सहित दर्जनों पौधे लगाए। इस दौरान उन्होंने प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नुक्कड़ सभाएं की और लोगों को पर्यावरण संकट व इसके संरक्षण की जरूरत के बारे में जागरुक किया। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने पेड़ पौधों व वन्यजीवों के संरक्षण के लिए संकल्प पत्र भरकर उनके साथ जुड़े। इस तरह उन्होंने ग्राम पंचायतों व स्कूलों में ढाई लाख से अधिक पौधे रोपित करवाए।
5 राज्यों की पर्यावरण चेतना यात्रा कर 1 लाख से अधिक लोगों को जोड़ा
पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने पांच राज्यों में पर्यावरण चेतना यात्रा भी निकाली। इसके तहत राजस्थान समेत हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड व दिल्ली की यात्रा की और लाेगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक किया। इस दौरान भाखर जहां भी गए वहां पर अपने साथ पौधे लेकर गए और लोगों को साथ जोड़ा। इस तरह उन्होंने इन पांच राज्यों की यात्रा में 22 हजार किलोमीटर घूमकर लोगों को अपने साथ जोड़ा। इस अभियान के दौरान उन्होंने इसके अपने स्तर पर पंपलेट छपवाए और उस पर्यावरण संरक्षण के बारे में पूरी जानकारी दी। इस अभियान में उनके साथ एक लाख से अधिक लोगों ने जुड़कर हमेशा पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
अब आठ जिलाें में जाळ के पाैधे लगाएंगे, सात लाख बीज एकत्रित
मरुस्थलीकरण रोकने व पर्यावरण संतुलन के लिए अब रेगिस्तानी सात जिलों में पांच लाख जाळ के पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बार बाड़मेर जिले में पीलू की अच्छी पैदावार होने के कारण शिक्षक भैराराम ने 7 लाख से अधिक पीलू सुखाकर जाळ के बीज एकत्रित किए है। अब इन्हें एक पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से संचालित विभिन्न पौधशालाओं में पौधे के रूप में तैयार किया जाएगा। इसके बाद बाड़मेर सहित बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, झुंझुनूं, चुरू, जैसलमेर आदि जिलों में अधिकाधिक जाळ के पौधे लगाकर संबंधित कार्यकर्ताओं को संरक्षण की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए सात लाख बीज एकत्रित कर चुके हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.