जिले में अकाल की स्थिति व भीषण गर्मी से पशुधन बेहाल है। सरकार ने अकाल राहत के लिए पशु चारा शिविरों की स्वीकृति तो प्रदान कर दी, लेकिन चारा दर कम होने की वजह से कोई संस्था या एजेंसी चारा शिविर के लिए आवेदन ही नहीं कर रही है। सरकार की ओर से स्वीकृत 232 पशु शिविरों में 33674 पशुओं को संरक्षित किया जाना है। वर्तमान में पूरे जिले में सिर्फ 9 पशु शिविरों का ही संचालन किया जा रहा है।
इसकी वजह यह है कि वर्तमान में सरकार ने जो चारा शिविरों के लिए चारे की दर निर्धारित की गई है, उससे 16 से 17 फीसदी ज्यादा दर में मार्केट में चारा मिल रहा है। इसमें स्थानीय स्तर पर अधिक उपयोग होने वाला चारा बाजरे की कुत्तर मिलना मुश्किल हो गई है। डिमांड के अनुसार चारा उपलब्धता बाजार में भी नहीं है।
मसलन, बाजरे के चारे की दर सरकार ने 1300 रुपए प्रति क्विंटल तय की है, जबकि बाजार में यह चारा 1500 रुपए क्विंटल के भाव पर भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में हमेशा पशु शिविर संचालन करने वाली संस्थाओं का कहना है कि प्रति किलो चार से पांच रुपए घाटा लेकर कैसे शिविरों का संचालन कर सकते हैं।
इसके अलावा सरकारी रुपए आने में भी देरी होती है। पहले चारा मार्केट से खरीदना पड़ता है फिर उसका बिल पेश करना होता है। इसके बाद कई माह बीतने के बाद चारे का भुगतान होता है। ऐसे में संस्थाओं ने शिविर संचालन के लिए आवेदन ही नहीं किया।
भास्कर विश्लेषण | पंजाब, हरियाणा के चारे में गुणवत्ता नहीं, गुजरात में चारा अच्छा लेकिन महंगा
स्थानीय पशुपालक व संस्थाओं के संचालकों का कहना है कि पंजाब व हरियाणा से गेहूं का खाखला व मूंगफली के चारे में मिलावट बहुत ज्यादा आती है। इसके साथ ही यह अधिक महंगा पड़ जाता है। इस चारे को पशु भी खाते नहीं है। ऐसे में इन राज्यों से चारा खरीदना फायदे का सौदा नहीं है। सबसे अच्छा चारा गुजरात राज्य से उपलब्ध हो सकता है।
वहां गेहूं का खाखला और मूंगफली का चारा गुणवत्तापूर्ण होता है। इसको पशु भी आसानी से खा लेते हैं, लेकिन महंगा ज्यादा मिल रहा है। वर्तमान में चारे की दर की बात करें तो पंजाब व हरियाणा में 900 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खाखला व मूंगफली चारा मिल सकता है, लेकिन इसमें मिलावट ज्यादा होती है और गुणवत्ता नहीं होती है। यही चारा गुजरात में 1300 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। ऐसे में पशु शिविरों का संचालन राज्य सरकार की दर पर कैसे चलाना संभव है।
घाटा ही है, इसलिए कोई आगे नहीं आ रहा
लीलसर में हमने चार पशु चारा शिविर खोले हैं। गंगानगर, हनुमानगढ़ और पंजाब आदि के चारे की गुणवत्ता बहुत खराब है। इसमें मिलावट व बगदा ज्यादा होने की वजह से पशु नहीं खाते हैं। हमने चारा शिविरों के संचालन के लिए गुजरात से अब तक चार गाड़ी चने के चारे की गाड़ी मंगवाई है। जो 1200 रुपए प्रति क्विंटल में पड़ी है। जबकि सरकारी दर 950 रुपए प्रति क्विंटल है। इसके साथ में बाजरे का चारा मिक्स करके दे रहे हैं। यह शिविर पूरा घाटे का ही सौदा है, इसलिए संस्थाएं हाथ नहीं डाल रही है। हमनें तो गायों की स्थिति को देखते हुए शिविर शुरू किए है। भुगतान तो जब आएगा तब आएगा। - हीराराम मूंढण, सरपंच, लीलसर।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.