बाड़मेर के पास कपूरड़ी व जालीपा माइंस से 12 साल में 5 करोड़ टन कोयला खनन के बाद सरकार ने खनन को अवैध मानते हुए खनन पर रोक लगा दी है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 12 साल में इतने बड़े घोटाले की भागीदार रही सरकार की आंखें क्यों नहीं खुली। केंद्र सरकार की ओर से बार-बार चेताने के बाद भी अब तक खनन कैसे चलता रहा।
जबकि जनहित याचिका के तहत मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा था। सरकार की मिलीभगत से आरएसएमएमएल ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के अवैध रूप से जिंदल समूह की ओर से बनाई बीएलएमसीएल को कपूरड़ी व जालीपा लिग्नाइट खनन की अनुमति दे दी, जबकि खनन का पट्टा आरएसएमएम के नाम ही था।
12 साल तक बिना पट्टे के बाड़मेर लिग्नाइट कंपनी खनन करती रही। 2016 में केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र लिखकर खनन को अवैध करार दिया था, इसके बाद भी सरकार ने खनन नहीं रूकवाया। अब 12 साल बाद राज्य सरकार ने खनन को अवैध करार देते हुए 15 अप्रैल से खनन रोकने के आदेश दिए है।
भास्कर पड़ताल एक तरफा जिंदल समूह का वर्चस्व, सांठगांठ से 12 साल तक साउथ वेस्ट के पास ही खनन का ठेका रहा
दरअसल राजवेस्ट के पॉवर प्लांट की 135 मेगावाट की 8 इकाइयां से 1080 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। इसके लिए जालीपा व कपूरड़ी लिग्नाइट माइंस कोयला खनन का पट्टा आरएसएमएमएल को मिला है, लेकिन सरकार की साठगांठ से ही आरएसएमएमएल ने जिंदल समूह की बनाई कंपनी बीएलएमसीएल को खनन की अनुमति दे दी।
जिसमें आरएसएमएमएल की 51 प्रतिशत और जेएसडब्ल्यू की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। बीएलएमसीएल ने एक तरफा वर्चस्व के लिए खनन का ठेका साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी को एकतरफा वर्चस्व के लिए दे दिया। 12 साल में 5 करोड़ टन कोयला खनन किया गया। सरकार की मिलीभगत से ही ये सब खेल चल रहा है। अब सरकार ने खुद के ही आदेश को गलत बताते हुए खनन को अवैध करार देते हुए जालीपा व कपूरड़ी लिग्नाइट माइंस से खनन पर रोक लगा दी है।
सात दिन में कोयला इकट्ठा करने के दिए निर्देश
जिंदल समूह ने राजवेस्ट प्लॉट पॉवर को बंद होने से रोकने के लिए 15 अप्रैल के सरकारी आदेश तक खनन बंद होने तक बड़ी तादाद में कोयला खनन कर इकट्ठा रखने के लिए कंपनी को कहा है। 1080 मेगावाट की 8 इकाइयों को चालू रखने के लिए हर माह 10-12 लाख टन कोयले की आवश्यकता रहती है। ऐसे में अब खनन पर रोक को 7 दिन बचे है। कंपनी कोयला स्टॉक रखने के लिए जुट गई है।
हालांकि राजवेस्ट पॉवर प्लांट बंद नहीं हो इसके लिए सोनड़ी व गिरल माइंस भी खुले में कोयला बेचने की बजाय राजवेस्ट पॉवर प्लांट को हर माह 10-10 लाख टन कोयला देने की पर्यावरण स्वीकृति पहले से है। ऐसे में सरकार पॉवर प्लांट को बंद होने से रोकने के लिए सोनड़ी व गिरल से भी राजवेस्ट को कोयला दे सकती है।
प्रशासन की रिपोर्ट में अवैध खनन नहीं माना, सिर्फ डंपिंग यार्ड ही थे
जिस जमीन पर बाड़मेर लिग्नाइट कंपनी को खनन की अनुमति ही नहीं थी, वहां से लाखों टन कोयला निकाल लिया गया। इसको लेकर लगातार खुलासे के बाद सरकार स्तर से इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई। इस पर आरएसएमएमएल ने इसकी रिपोर्ट तैयार कर बताया कि बाड़मेर लिग्नाइट कंपनी ने सरकारी जमीन से अब तक अवैध खनन नहीं किया है, जबकि वहां सिर्फ कोयला खनन के मलबे डंपिंग यार्ड ही बने हुए है।
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