48 घंटे से ज्यादा समय तक न्यायिक अभिरक्षा में भी रहा सरपंच चार संतान होने के बावजूद एक पुत्री का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पेश कर सरपंच का चुनाव लड़े और जीत गए। जिला परिषद की गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में सरपंच अयोग्य होने की पुष्टि होने के बावजूद भी तीन साल से सरपंचाई कर रहा है। फर्जी दस्तावेज बनाकर बाबूसिंह सरपंच चुनाव लड़ने के बाद थाने में प्रकरण दर्ज होने पर जेल भी गया और 48 घंटे से अधिक समय तक न्यायिक अभिरक्षा में रहना पड़ा। जांच रिपोर्ट में चार संतान की पुष्टि होने के बावजूद यूं कहे कि प्रशासनिक स्तर पर कमजोर पैरवी के चलते सरपंच अयोग्य घोषित नहीं हो पाया है और तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया, अब दो साल शेष है।
समदड़ी पंचायत समिति के सिलोर ग्राम पंचायत के निर्वाचित सरपंच चुनाव में 27 नवंबर 1995 के बाद दो संतान होने के बावजूद गलत तथ्य पेश कर बाबूसिंह पुत्र गुणेशसिंह चुनाव जीता। जबकि जांच में 1995 के बाद दो संतान होना साबित हो गया है। अब जिला परिषद का दावा है कि जांच रिपोर्ट में चार संतान होना साबित भी हो गया। अब कोर्ट गए है, जल्द निर्णय होगा।
कमेटी की जांच में गलत तथ्य पेशकर चुनाव जीतना सामने आया
जिला परिषद की ओर से गठित कमेटी के सदस्य विकास अधिकारी नरपतसिंह भाटी व सहायक विकास अधिकारी ओंकार दान ने प्रकरण की दुबारा जांच की गई। जांच में सामने आया कि सरपंच बाबूसिंह ने चुनाव लड़ने के दौरान पुत्री अनिता कुमारी का जन्म 12 मई 1992 बताते हुए उसका जन्म प्रमाण पत्र पेश किया। जबकि जांच में सामने आया कि उक्त ग्राम विकास अधिकारी ने ऐसा कोई जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किया। साथ ही विद्यालय रिकॉर्ड की पड़ताल करने में सामने आया कि 8 जुलाई 2010 में अनिता ने दसवीं में अध्ययनरत रहते हुए स्थानांतरण प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
जिसमें 10 दिसंबर 1996 जन्म तिथि अंकित है। इससे पूर्णतया स्पष्ट है कि अनिता की वास्तविक जन्म तिथि 10 दिसंबर 1996 है। ऐसे में जांच निष्कर्ष यह हुआ कि सरपंच की ओर से भरे गए नाम निर्देशन में बाबूसिंह के 27 नवंबर 1995 के बाद चौथी संतान व तीन संतान 27 नवंबर 1995 से पूर्व होना प्रमाणित पाया गया है। साथ ही पूर्व में जांच अधिकारी की जांच सही है। राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 19 के तहत वर्तमान निर्वाचित सरपंच बाबूसिंह के अयोग्य होना साबित होता है।
दो बार जांच हुई, फिर भी सरपंच अयोग्य नहीं
प्रकरण में पहली जांच पंचायत समिति समदड़ी की ओर से पूर्ण कर वर्ष-2020 में जिला परिषद भेज दी गई, लेकिन वर्तमान सरपंच बाबूसिंह ने पुन: जांच के अभ्यावेदन में ग्राम पंचायत सिलोर की ओर से जारी प्रमाण पत्रों, विद्यालय रिकॉर्ड के माध्यम से चार संतान 27 नवंबर 1995 से पूर्व के होना बताकर पूर्व मे की गई जांच को गलत ठहराया। उसके बाद पुन: जिला परिषद की ओर से गठित कमेटी ने जांच की गई, जिसमें भी 1995 के बाद दो संतान होना सामने आया।
अयोग्य घोषित करने के लिए कोर्ट गए है
जांच रिपोर्ट में चार संतान होने की पुष्टि हुई थी। उसके बाद जिला कलेक्टर ने संबंधित वीडीओ को पैरवी के लिए नियुक्त किया है। सरपंच को अयोग्य घोषित करने के लिए कोर्ट गए है। - ओमप्रकाश विश्नोई, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बाड़मेर
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