आरएएस-2018 के जारी हुए परिणाम में हनुमानराम बिसारणिया ने 22 वीं, हनुमानराम बेनीवाल कुर्जा ने 76 वीं, गोपालसिंह बारहठ भादरेश ने 103 वीं, हिंगलाज दान झणकली 117 वीं, देवाराम कड़वासरा छोटू ने 128 वीं, कुलदीप बारहठ ने 136 वीं, नेहा चौधरी गांधी नगर बाड़मेर ने 137 वीं, हरीश सारण पोकरासर ने 166 वीं, प्रकाश कुमार पटेल सरवड़ी ने 178 वीं, देराजराम डूगेर कानोड़ ने 302 वीं, दीपक शर्मा रामपुरिया ने 319 वीं, करनाराम प्रजापत ने 331 वीं, चौखाराम जाणी ने 339 वीं, लक्ष्मी चौधरी बलदेव नगर बाड़मेर ने 375 वीं, विशनसिंह सियाग सेतराऊ ने 413 वीं, मोहनलाल सारण केकड़ ने 460 वीं, नितिन डूडी रावतसर ने 490 वीं, रणवीर कुकणा सांजटा ने 640 वीं, नरपतसिंह राठौड़ गिराब ने 636 वीं, सीमा जैन धाेरीमन्ना, प्रदीप छीपा 666 वीं, गणेशाराम माली बालोतरा ने 888 वीं, ओमी विश्नोई धोरीमन्ना 902 वीं, महिपाल चौधरी 912 वीं, मुकेश परमार 1369 वीं रैंक हासिल की। हरखाराम मेघवाल धनाऊ (एससी) 31वीं, रमेश लीलावत सिंहार (एससी) 34वीं रैंक प्राप्त की है।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा आरएएस-2018 का परीक्षा परिणाम मंगलवार रात जारी किया गया। बाड़मेर जिले के बिसारणिया के किसान परिवार से हनुमानराम ने 22वीं रैंक हासिल कर जिले में टॉपर रहे है। 2016 से लगातार आरएएस की तैयार कर रहे थे और अब दूसरे प्रयास में आरएएस में चयन हुआ है। गिराब निवासी नरपत सिंह प्रदेश में संभवत: सबसे कम उम्र में आरएसएस में चयनित है। नरपत सिंह को 636 वीं रैंक मिली है।
ये हैं नवचयनित आरएएस, पढ़िए इनके संघर्ष की कहानी और सफलता का राज, असफलता के बाद भी हताश नहीं
हनुमान राम 22वीं रैंक
सरकारी स्कूल में पढ़ाई, पहले प्रयास में असफल, दूसरी बार 22वीं रैंक
चौहटन के बिसारणिया के हनुमानराम शुरूआत से ही सरकारी स्कूल में पढ़े है। वीरडो का तला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा के बाद मामा के घर सांचौर में आठवीं पास की। इसके बाद जवाहर नवोदय स्कूल जसवंतपुरा जालोर से 12वीं उत्तीर्ण की। स्नातक की डिग्री 2016 में जोधपुर यूनिवर्सिटी से की। आरएएस बनने के लिए सूरतगढ़ के प्रवीण भाटिया आश्रम में तैयारी की। पहले प्रयास में आरएएस साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन फाइनल में कुछ अंकों से पीछे रह गए। दुबारा नए जोश के साथ तैयारी शुरू की और दूसरे प्रयास में प्रदेश में 22वीं रैंक हासिल की है। पिता कौशला राम किसान है और खेती-बाड़ी करते हैं।
हनुमानराम बेनीवाल 76वीं रैंक
एसटीसी बीच में छोड़कर कांस्टेबल बने, 13 साल बाद अब बने आरएएस
बाड़मेर जिले के कुर्जा निवासी हनुमानराम जैसलमेर में कांस्टेबल पद पर तैनात है। हनुमानराम की आरएएस रिजल्ट में 76वीं रैंक है। हनुमानराम बताते हैं कि 2008 में घरेलू आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उसने एसटीसी को बीच में छोड़कर पुलिस की परीक्षा दी और कांस्टेबल बन गया। इसके बावजूद लक्ष्य आरएएस बनने का था। हनुमानराम के गुरु भैराराम पोटलिया वर्तमान में आरआरएस है, जो शुरू से ही हनुमान को आरएएस बनने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। हनुमान के पिता रावताराम, माता नेनूदेवी, दादी, भाई पोकर और पत्नी पारू (कांस्टेबल) ने हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। 13 साल कांस्टेबल की नौकरी करने के बाद आरएएस बनने का सपना पूरा हुआ है।
गोपालसिंह बारहठ 103वीं रैंक
बीएसएफ कमांडेट में चयन, पहले प्रयास में चूके, दूसरी बार बने आरएएस
बाड़मेर के भादरेश निवासी गोपालसिंह ने आरएएस में 103वीं रैंक हासिल की है। 2016 में पहला एग्जाम दिया, लेकिन चयन नहीं हुआ। अब दूसरे प्रयास में 103वीं रैंक हासिल कर आरएएस बने है। वर्तमान में बीएसएफ में कमांडेंट में चयन हो रखा है, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं हुई है। इस बीच अब आरएएस बनने से परिवार में खुशी छाई हुई है। पिता त्रिभुवनदान नगर परिषद बालोतरा में नौकरी करते है। ताऊ रेवंतदान हेड मास्टर है। शुरूआती पढ़ाई भादरेश से ही की है। इसके बाद बीटेक के लिए कोटा में कोचिंग ली। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए समर्पित होकर पढ़ाई की और खुद का समय समय पर आंकलन भी किया।
देराजराम 302वीं रैंक
अखबार के हॉकर थे, पहले पटवारी, फिर शिक्षक और अब आरएएस में चयन
बायतु के कानोड़ निवासी देराजराम डूगेर ने आरएएस में 302वीं रैंक हासिल की है। 10 साल के संघर्ष में उन्हें यह तीसरी सफलता मिली है। शुरूआत में हॉकर रहे और घर-घर अखबार डालते थे। दसवीं में सिर्फ 51% व 12वीं 60% अंक से उत्तीर्ण की। 2008 में बीएसटीसी में दाखिला हुआ। बीएसटीसी के तुरंत बाद 2011 में बाड़मेर से पटवारी पद पर नियुक्ति मिल गई। इसके बाद 2012 शिक्षक बन गए। शिक्षक रहते हुए आरएएस की तैयारी की। घर पर लालटेन की रोशनी में पढ़ कर आरएएस -2013 का साक्षात्कार दिया लेकिन अंतिम रूप से चयन नहीं हुआ। इसके बाद 2016 मे पुन: आरएएस परीक्षा दी। अब 302वीं रैंक के साथ चयन हुआ हैं।
विशनसिंह 413वीं रैंक
नगर परिषद में आरआई पढ़ाई जारी रखी और अब बने आरएएस अधिकारी
रामसर तहसील के सेतराऊ निवासी विशन सिंह सियाग नगर परिषद बाड़मेर में राजस्व निरीक्षक के पद पर है। पिता राशन डीलर है। परिवार में 4 भाई- बहिनों में सबसे बड़े विशन सिंह ने नौकरी करते हुए खुद की पढ़ाई भी की और अब आरएएस में 413वीं रैंक हासिल की है। 2009 में डाक विभाग में डाक सहायक पद पर चयन हुआ। नौकरी के साथ पढ़ाई को जारी रखा। 2016 में नगरीय निकाय विभाग में आरआई बने। आरएएस- 2013 और 2016 में भी प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हुए। इसके बाद तैयारी के लिए समय बढ़ाया और अब आरएएस में चयन हुआ है। दो बार असफलता के बाद भी हताश न होकर कमियों को दूर तक तैयारी जारी रखी।
नरपतसिंह 636वीं रैंक
पहले पटवारी की नौकरी की, अब 24 साल की उम्र में आरएएस अधिकारी बने
बाड़मेर जिले के गिराब निवासी नरपत सिंह (24) पुत्र सूरत सिंह का पहली बार में आरएएस में चयन हो गया है। नरपत सिंह राजस्थान में संभवत: सबसे कम उम्र में सलेक्शन होने वाले पहले युवा है। नरपत की जन्मतिथि 15 नवम्बर 1997 है। नरपतसिंह का 2017 में पटवारी के लिए चयन हुआ था। पटवारी की नौकरी करते हुए आरएएस की तैयारी की और आरएएस-2018 के जारी हुए परिणाम में 636वीं रैंक हासिल की है। नरपतसिंह ने बताया कि आरएएस में सफलता के लिए नौकरी के साथ साथ पढ़ाई को जारी रखा और खुद का समय समय पर आंकलन करते हुए कमियों को सुधारा। लगातार मेहनत और परिजनों के सहयोग से ही पहली बार में ही सफलता प्राप्त हो पाई है।
लक्ष्मी चौधरी 375वीं रैंक
परीक्षा से पहले व पिता व पति की मौत, फिर भी हारी नहीं... और बनी आरएएस
लक्ष्मी चौधरी ने 375वीं रैंक हासिल की है। पति व पिता की मौत के बावजूद अपने लक्ष्य पर अडिग रही। आरएएस में विधवा कोटे से प्रदेश में तीसरी रैंक हासिल की है। लक्ष्मी के पिता हेमाराम इंदिरा गांधी केनाल में हेल्पर पद पर कार्यरत थे। मां अणसी देवी गृहिणी है।
5 भाई बहन के परिवार में बड़े भाई विशनाराम टीचर है, बहन पुष्पा चौधरी और रेखा चौधरी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। बहन मनीषा चौधरी जैसलमेर में एलडीसी पद पर कार्यरत है। लक्ष्मी का ससुराल छीतर का पार में है। 27 नवंबर 2017 को लक्ष्मी के पति रूपाराम का देहांत हो गया। जबकि इसके कुछ दिन बाद आरएएस प्री एग्जाम पास किया। 25 जनवरी 2019 पिता की मौत हो गई।
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