RAS 2018 का रिजल्ट आ चुका है। बाड़मेर जिले की सांजटा गांव की लक्ष्मी चौधरी की कहानी बड़ी संघर्ष भरी है। प्री एग्जाम से पहले पति की मौत, मुख्य एग्जाम से पहले पिता की मौत और जब इंटरव्यू होता है तो उस समय मां को कोरोना हो गया, लेकिन लक्ष्मी ने कभी संघर्ष नहीं छोड़ा और आज अपना मुकाम हासिल कर लिया है लक्ष्मी बताती है कि उसके पिताजी गांव में लोगों को कहा करते थे कि मारी छोरी एक दिन अफसर जरूर बनेला आज मैने मेरे पिताजी का सपना पूरा कर लिया है मुझे बहुत खुशी है।
बाड़मेर सरली निवासी की लक्ष्मी ने अपनी जिद्द, मेहनत और परेशानियों से लड़ते हुए आरएएस राजस्थान में 1732 वीं, (BC,WD, WE) में 3 रैंक हासिल की। बाड़मेर की सरली निवासी लक्ष्मी चौधरी का जीवन संघर्ष भरा रहते हुए इस मुकाम पर पहुंची है। लक्ष्मी ने प्रथम प्रयास में यह मुकाम हासिल किया है। मयूर स्कूल में लक्ष्मी चौधरी काे बधाई देकर सम्मान किया गया।
लक्ष्मी चौधरी बताती है कि मैंने रीट की परीक्षा देकर पहले मैं थ्रेड ग्रेड टीचर बनी फिर सैंकड ग्रे टीचर बनी उसके बाद अभी मेरा एसआई में सलेक्शन हो गया था लेकिन मैंने मेरे पिता हेमाराम का सपना था इसको चुना और आज मेरा आरएएस में चयन हो गया है।
2009 में हुई थी शादी
लक्ष्मी बताती है कि मेरी शादी 2009 में छीतर का पार कवास निवासी रूपाराम के साथ हुई थी। मेरे पति रूपाराम ने भी मुझे पढ़ने से कभी नही रोका और मुझे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे। 2018 में रूपाराम की मृत्यु हो गई थी। उस समय एक बार तो हिम्मत हार गई कि अब पढ़ाई छूट जाएगी लेकिन मेरे सुसराल और मेरे पिता ने पढ़ाई छूटने नहीं दी और हौसला अफजाई करते रहे।
2016 से करी रही है तैयारी
लक्ष्मी बताती है कि मैंने 2016 से आरएएस की तैयारी शुरू कर दी थी लेकिन बीच में थ्रेड ग्रेड, सैंकड ग्रेड और एसआई के परीक्षा भी दी थी इन सभी परीक्षाओं में पास होकर मेरा सलेक्शन हो गया था। लेकिन मुझे मेरे पिता का सपना पूरा करना था इसलिए मैंने तैयारी छोड़ी नहीं और तैयारी करती गई इसका ही नतीजा मैं आरएएस में मेरा चयन हो गया है।
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