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सदराम की बेरी स्थित श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर में जम्भेश्वर भगवान के मोक्ष दिवस की 484 वीं वर्षगांठ के अवसर पर जागरण एवं श्री गुरु जम्भेश्वर मेला यज्ञ व पाहल का अायाेजन किया गया। इसमें सैकड़ों पर्यावरण प्रेमियों ने नारियल व घी की आहुतियां देकर देश के खुशहाली की कामनाएं की।
सेड़वा तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर सदराम की बेरी में चिलत नवमी के अवसर पर 11वीं बार विशाल श्री गुरु जंभेश्वर मेला भगवान जांभोजी की जय जयकार के साथ भरा, जिसमें सैकड़ों पर्यावरण प्रेमियों ने शिरकत की। सोनड़ी महंत आत्मदेव महाराज के पावन सानिध्य में भगवान जांभोजी की 120 शब्दवाणी से विशाल यज्ञ एवं पाहल बनाकर पर्यावरण प्रेमियों ने अमृत पान करते हुए नशा मुक्त जीवन जीने का संकल्प दिलाया।
श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें यज्ञ की परिक्रमा करते हुए मंदिर परिसर में ही भगवान जांभोजी की साखी, आरती, कीर्तन, भजन की सरिता में विश्नोई समाज के साखी मर्मज्ञ युवा कलाकार पूनम सेंवर ने जांभाणी परंपरा के अनुसार कुं कुं केरा चरण पधारो गुरु जंभ देव, आरती जय जंभेश्वर की, आरती होजी समराथल देव, पांच आरती आओ मिलो जुमले जुलो सिवरो सिरजन हार, जुमले की पहली साखी सहित पांच साखियों का गायन किया गया।
अमृता देवी बलिदान की इतिहास गाथा विश्नोई समाज की 29 नियमों की नियमावली का विस्तार से विचार एवं भगवान जांभोजी की अवतार जीवन लीला एवं विभिन्न पर्चों का साखियों के माध्यम से स्रोतों को सुनाकर भावविभोर किया। दोपहर 12 बजे श्री जम्भेश्वर सेवा संस्थान एवं श्री गुरु जंभेश्वर दल का खुला अधिवेशन महंत आत्मदेव महाराज के पावन सानिध्य में शुरू हुआ।
जिसमें संत आत्मदेव महाराज ने कहा कि इस धरती पर जर, जोरू और जमीन के लिए सिर कटाने के हजारों उदाहरण मिल जाएंगे, लेकिन इस पृथ्वी पर वन्य जीवों एवं पेड़ों के लिए सैकड़ों पर्यावरण प्रेमियों ने हरे वृक्षों में वन्य जीवों लिए सर कटा लिए लेकिन पेड़ नहीं काटने दिए। समाजसेवी हरजेश थोरी ने कहा कि विश्नोई समाज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रगति कर रहा है। वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों में समाज की प्रतिभाएं अपना लोहा मना रही है।
अब इस आधुनिक शिक्षा के साथ में संस्कारों की आवश्यकता है। शिक्षा के साथ संस्कार होंगे तो ही सही मायनों में समाज और देश का भविष्य प्रकाशमय होगा। थोरी ने कहा कि वर्तमान में युवा सकारात्मक सोच के साथ में जीवन पथ पर आगे बढ़ रहे हैं यह समाज के लिए शुभ संकेत है।
इस अवसर पर मेघावा के महंत आत्मदेव महाराज, भाखराराम खिलेरी,साजनराम जांगू, राणाराम ढाका, प्रकाशचन्द खिलेरी, हरदेवाराम ढाका, लाधुराम जांगू, अमराराम थोरी, हनुमानराम सियाक, आसुलाल जांगू, राजेन्द्र खिलेरी, पूनम खिलेरी, श्रवण भादू, जगदीश जाणी, मांगीलाल थोरी सहित जम्भेश्वर सेवा संस्थान एवं जम्भेश्वर सेवक दल सदराम की बेरी के कार्यकर्ता सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं उपस्थित रहे।
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